ब्रिटेन में चालू हालत में मौजूद वहां का सबसे पुराना टेलीविजन लंदन के एक घर में ढूंढ निकाला गया है। मारकोनीफोन नामक यह टेलीविजन 1936 में बना था और अभी भी बढिया काम करता है। एक कमी बस यही है कि इसमें चैनल चेंजर नहीं है। पूरी खबर और वीडियो बीबीसी पर मौजूद है।
याद कीजिए जब आपके घर पहली बार टीवी आया होगा, या आपके दादा अथवा पिता जी पहली बार घर में रेडियो लेकर आए होंगे। जरूर आप के स्मृतिपटल पर कुछ रोचक और मधुर क्षण झिलमिलाने लगे होंगे। मुझे याद है जब मैं छठी कक्षा में पढ़ता था, पटना में अपने मामा के घर से टीवी देखकर गांव लौटा था। गांव की पाठशाला में अपने सहपाठियों के बीच कई दिनों तक उस चमत्कारपूर्ण चीज का बखान करते रहा।
मेरे गांव के लोग बताते हैं कि जब यहां पहली बार जमींदार के घर किसी जलसे में लाउडस्पीकर बजा था तो कौतूहल के मारे आवाज की दिशा में लोग दौड़ पड़े थे। पड़ोस के एक गांव के लोग बताते हैं कि तीन पीढ़ी पहले गांव में रेडियो आया था और रेडियो के स्वामी को अक्सर लगता था कि उनकी मशीन के अंदर कोई छोटा-सा बोलनेवाला प्राणी कैद है। आखिर उनकी मंडली में तय हुआ कि इसकी पड़ताल कर ही ली जाए। बोलनेवाले प्राणी की तलाश में रेडियो के पुर्जे इस कदर अलग-अलग किए गए कि उसका राम नाम सत्य ही हो गया।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
ब्रोकोली हृदय के लिए फायदेमंद है, यह बात बहुत पहले से कही जाती रही है। लेकिन अब ब्रिटिश वैज्ञानिक यह भी बता रहे हैं कि ब्रोकोली किस तरह फायद...
-
आज पहली बार हमारे गांव के मैनेजर बाबू को यह दुनिया अच्छे लोगों और अच्छाइयों से भरी-पूरी लग रही है। जिन पढ़े-लिखे शहरी लोगों को वे जेठ की द...
-
आज के समय में टीवी व रेडियो पर मौसम संबंधी जानकारी मिल जाती है। लेकिन सदियों पहले न टीवी-रेडियो थे, न सरकारी मौसम विभाग। ऐसे समय में महान कि...
-
भारतीय मीडिया लाख दावे करे लेकिन जनता की नब्ज पकड़ने की बात आती है तो बीबीसी से बेहतर शायद कोई नहीं. समलैंगिकता के सवाल पर बीबीसी हिन्दी ब...
-
आप यह बात जानते होंगे कि भारत का पहला जीन संवर्धित खाद्य पदार्थ बीटी बैगन सरकार की सर्वोच्च प्रौद्योगिकी नियामक संस्था जेनेटिक इंजीनियरिंग...
-
18 मई, 2008 को जब मैंने अपनी पहली पोस्ट लिखी थी, उस समय मैं ब्लॉगजगत के लिए अजनबी था। न कोई दोस्त, न कोई परिचित। किसी नए ब्लॉगर के इष्ट...
-
आखिर हम क्यों करते हैं ब्लॉगिंग ? क्या मिलता है हमें इसमें ? कुछ लोग इसके जरिए पैसा जरूर कमाते हैं, लेकिन अधिकांश को तो एक पाई भी नहीं मि...
-
फागुन बसंत की तरुणाई है तो चैत प्रौढ़ावस्था। यह बसंत के वैभव का माह है। इसमें बसंत समृद्ध होकर बहार बन जाता है। वृक्षों में लगे मंजर फल बन...
-
कृषि उत्पाद के मामले में भारत, दक्षिण एशिया का दिग्गज देश नजर आता है, लेकिन अगर पिछले आंकड़ों को देखें तो खाद्य फसलों की उत्पादनशीलता छोटे पड़...
-
अब समय आ गया है कि हम ब्लॉगर डैशबोर्ड की जगह सीधे गूगल डैशबोर्ड पर जाकर ब्लागरी या अन्य संबंधित काम करें। जी हां, गूगल ने नित नए उत्पाद ...
ओह, पहली बार टीवी को संज्ञान में लेने पर, हमारा कुकुर गोलू पांड़े बार बार टीवी के पीछे जा कर देखता था कि कौन है जो बोल रहा है!
ReplyDeleteओह !! आपने पुराने दिनों की यादों को ताजा कर दिया !! मैंने पहली बार टी.वि देखा उस वक़्त में ४थि कक्षा का छात्र था | अजीब सा एहसास था |सैकडों सवाल मन आएथे | क्या है | कैसे दिख रहा है | इसके अन्दर ये मक्खियाँ कहाँ से घुस गयी | जब पूरी तरह से नेटवर्क नहीं पकड़ता था तो मक्खियाँ सी दिखाई देती थी | यार कभी कभी ऐसी पोस्टें भी कर दिया करो!! मजा अता है ! धन्यवाद बंधुवर !!
ReplyDeleteबिल्कुल यादों की जुगाली जैसा ही है ये तो. हमको रेडियो की याद आती है जब चीन के साथ युद्ध चल रहा था तब एक लंबा सा चौडा फ़ीते जैसा एंटिना उपर छत पर जाकर दो बल्लियों के बीच बांधते थे और बेटरी भी बहुत बडि आती थी..आज की कार की बेट्रियों जितनी ही. क्या मजा आता था उन दिनों भी?
ReplyDeleteरामराम.
इस रोचक समाचार से अवगत राने का शुक्रिया। हमारी जेनेरेशन के लिए पहली बार घर में टीवी, फ्रिज या टेपरिकार्डर आना एक यादगार लमहा था और रहेगा।
ReplyDeleteबहुत ही रोचक जानकारी. १९४७ में हमारे यहाँ भी एक रेडियो आया जिसमे ९ वोल्व लगे थे. पूरे इलाके में धाक थी.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जानकारी!
ReplyDeleteअच्छी जानकारी। मेरी याददाश्त में 1970 में हमारे घर में बुश बैरन का 8 बैण्ड वाला वाल्व रेडियो था (आज भी है बन्द अवस्था में), चमकदार लकड़ी का कैबिनेट और भीतर जोरदार लाइट… और साउंड ऐसा कि आज के 5 ट्रांजिस्टर भी एक साथ शरमा जायें, उसके लिये कॉपर वायर का एंटीना लगाना पड़ता था और वह रेडियो बारिश के समय खड़-खड़ आवाज़ करता था, लेकिन आज भी उस रेडियो से निकली हुई आवाज़ "ये आकाशवाणी है अब आप देवकीनन्दन पाण्डेय से समाचार सुनिये…" आज भी कानों में गूंजती है…
ReplyDeleteGreat post thhankyou
ReplyDelete