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Wednesday, July 8, 2009

आर्ट ऑफ लिविंग, श्री श्री रविशंकर और बाबा रामदेव : अंतरजाल पर योग चर्चा

वॉयस ऑफ अमेरिका की एक खबर में बताया गया है कि रविशंकर के योग से कुछ पूर्व अमेरिकी सैनिकों को काफी फायदा पहुंचा है।
''शिकागो में रविवार को सैकड़ों लोगों के बीच वियतनाम मे लड़ चुके कुछ पूर्व अमेरिकी सैनिकों ने बताया की आर्ट ऑफ़ लिविंग की योग तकनीक से उन्हें तनाव दूर करने में कितना फायदा हुआ। सैनिकों के ये बयान रिकॉर्ड किए थे जिम लार्सन ने जो कि पूर्व सैनिकों के लिए खास तौर से तैयार किए गए कार्यक्रम के प्रमुख हैं। जिम ने इन सैनिकों को एक हफ्ते की ट्रेनिंग दी थी। श्री श्री रविशंकर मानते हैं कि पूर्व सैनिकों के लिए लड़ाई के मैदान का तनाव दूर करने में उनकी तकनीक काफी कारगर है।''
योग विद्या को हाल के दिनों में भारत और विश्‍व में जो लोकप्रियता मिली है, वह अब नई बात नहीं है। लेकिन यह खबर पढ़ने के बाद इंटरनेट पर योग संबंधी जानकारियों के लिंक खंगालने की इच्‍छा हुई। थोड़ी तलाश के बाद श्री श्री रविशंकर और बाबा रामदेव से संबंधित योग संबंधी कुछ काम के लिंक मिले, जिन्‍हें संभवत: आप भी पसंद करें।

http://www.artoflivingyoga.org/hn/ पर योग की परिभाषा देते हुए कहा गया है :
शरीर, मन और आत्मा की तारतम्यता ही योग है।
योग शब्द संस्कृत के यूज् से आया है जिसका अर्थ है मिलन (संघ)
• ग्रंथों के साथ स्वयं को मिलाना (ग्रंथों के साथ आत्मसात)
• व्यक्तिगत चेतना को सार्वभौमिक चेतना से मिलाना।
योग शरीर के लिए केवल एक प्रकार का व्यायाम ही नहीं है, यह एक प्राचीन प्रज्ञता है, जो कि स्वास्थ्य, ख़ुशी ओर शांतिपूर्ण जीवन का ढंग है जो अंतत स्वयं से मिलाता है।
हर मानव में खुश रहने की एक सहज इच्छा होती है। प्राचीन काल में ऋषि मुनि जीवन की खोज में जांच करते करते उस चैतन्य अवस्था में जाने में सक्षम हुए और उन्हें स्वास्थ्य, ख़ुशी ओर जीवन के रहस्यों के बारे मालूम हुआ।
इस ठिकाने के साथ अच्‍छी बात यह है कि यह हिन्‍दी में भी है। इसी से जुड़ी एक साइट है http://www.ayurvedic-cooking.com/ जिसमें आहार संबंधी जानकारियां हैं। बाबा रामदेव से संबंधित साइट http://www.baba-ramdev.info/ हालांकि अंग्रेजी में है, लेकिन इसमें आसन और ध्‍यान संबंधी काफी ज्ञानवर्धक बातें हैं।

Thursday, May 7, 2009

चेहरा क्‍या देखते हो...


किसी चेहरे पर दूसरे चेहरे को प्रत्‍यारोपित करने को लेकर नैतिकता की जो दुहाई दी जाए, लेकिन चिकित्‍सा विज्ञान की यह उपलब्धि गौर और गर्व करने लायक है।

वर्ष 2008 के दिसंबर माह में अमेरिका के ओहियो प्रांत के क्‍लीवलैंड क्‍लीनीक में जब डॉ. मारिया साइमिनोव के नेतृत्‍व में 11 शल्‍य चिकित्‍सकों के दल ने करीब 22 घंटे चले ऑपरेशन के जरिए उस म‍हिला के चेहरे का प्रत्‍यारोपण किया होगा तो वे जरूर जानते होंगे कि वे इतिहास बना रहे हैं। यह अमेरिका का पहला और दुनिया का चौथा चेहरा प्रत्‍यारोपण था।

ऑपरेशन के दौरान महिला के चेहरे पर हड्डियां, मांसपेशियां, तंत्रिकाएं, त्‍वचा, रक्‍त वाहिनियां और दांत लगाए गए। यह सभी अंग एक अन्‍य महिला के चेहरे से निकाले गए थे जिसकी कुछ ही घंटे पहले मौत हुई थी। उस समय मरीज की पहचान और उम्र को गोपनीय रखा गया था। यह भी नहीं बताया गया कि वह घायल कैसे हुई थी।

जब उक्‍त महिला ने ऑपरेशन के पांच माह बाद गत 5 मई को संवाददाता सम्‍मेलन में उपस्थित होकर अपना नया चेहरा दिखाया तो दुनिया को पूरी सच्‍चाई का पता चला। कोनी कल्‍प (Connie Culp) नामक उक्‍त 46 वर्षीया महिला को उसके पति ने वर्ष 2004 में गोली मार दी थी, जिससे उसका पूरा चेहरा ही वीभत्‍स हो गया था। उसका चेहरा इतना डरावना हो चुका था कि दो बच्‍चों की मां उस महिला के अपने बच्‍चे भी उसे देखकर डर जाते थे। ऑपरेशन से पहले वह बाहरी सहायता के बिना न तो कोई ठोस चीज खा सकती थी, न ही सूंघ या सांस ले सकती थी। लेकिन अब सब सामान्‍य हो रहा है। उसके चेहरे का अस्‍सी फीसदी अंश प्रत्‍यारोपित करना पड़ा।

डॉ. मारिया बताती हैं कि जब कोनी ने दोनों हाथों से चेहरे को छुआ और महसूस किया कि वहां नाक हैं, जबड़े भी हैं, तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

कोनी ठीक ही कहती है, ‘’किसी के चेहरे की बदसूरती के आधार पर कोई धारणा नहीं बनाएं, क्‍योंकि आप नहीं जानते कि उसके साथ क्‍या हुआ है।‘’

Saturday, May 31, 2008

अब कौन सा छू-मंतर कर देंगे वित्तमंत्री जी?


क्या सचमुच सरकार गरीबी मिटा रही है? वह शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पेयजल आदि पर जो खर्च कर रही उसका लाभ सही में लक्षित लोगों को मिल रहा है? यदि गरीबी सबसे अधिक प्रदूषण फैलाती है तो उस गरीबी का जिम्मेवार कौन है? ये सवाल मैं तहलका में प्रकाशित वित्तमंत्री पी चिदंबरम की शोमा चौधरी व शांतनु गुहा रे के साथ बातचीत के सन्दर्भ में कर रहा हूँ, जिसपर अभय तिवारी जी ने अपने चिट्ठे में शानदार लेख लिखा है।

सच तो यह यह है कि वित्तमंत्री ने इस बातचीत में कई बातें ऐसी कही हैं, जो कांग्रेस की घोषित नीतियों व कार्यक्रम तथा बापू की गाँव सम्बन्धी अवधारणा के विरूद्ध है। गांव, गरीब, कृषि व किसान के प्रति सरकार की सोच तो ये बातें जाहिर कर ही देती हैं।

पी चिदंबरम का दावा है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल व स्वच्छता पर जितनी राशि इस समय खर्च हो रही है, उतनी भारत के इतिहास में पहले कभी नहीं हुई। विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या सही में इसका फायदा उनलोगों तक पंहुच रहा है, जिन तक पहुंचना चाहिए। शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल व स्वच्छता की मौजूदा स्थिति क्या है, समाचारपत्रों में रोज छपता है और हर कोई उससे दो-चार होता रहता है।

श्री चिदंबरम कहते हैं, "गरीबी प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक है। गरीब सबसे गंदी दुनिया में रहते हैं। उनकी दुनिया में सफाई, पेयजल, आवास, हवा...जैसी चीजें नारकीय अवस्था में होती हैं। हर चीज प्रदूषणयुक्त होती है। इसलिए मैंने कहा कि सबसे ज्यादा प्रदूषण गरीबी फैलाती है। ये हमारा अधिकार और कर्तव्य है कि पहले गरीबी को हटाया जाए। इस प्रक्रिया में हम उन चिंताओं के प्रति संवेदनशील रहेंगे जो दूसरे देशों द्वारा व्यक्त की गई हैं।" इससे तो यही लगता है कि उनकी नजर में गरीबों और कीडे-मकोडों में कोई अन्तर नहीं। हम भी मान लेते हैं उनकी बात। लेकिन इस गरीबी के लिए जिम्मेवार कौन है। आजादी के बाद अधिकांश समय तो इस देश में कांग्रेस पार्टी की सरकार ही रही है। फिर हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी और वित्तमंत्री जी कोई पहली बार तो देश के मंत्री बने नही हैं। क्या किया इतने दिनों तक। इतने दिनों तक गरीबी नहीं हटा सके तो अब कौन सा छू-मंतर कर देंगे?

हमारे इलाके में मुसहर जाती सबसे गरीब मानी जाती है। सरकार ने स्वच्छता अभियान के तहत उनके उपयोग के लिए जो शौचालय बनवाये हैं, उसका नमूना इस फोटो में देखा जा सकता है। हमारी सरकार में बैठे लोग कर लेंगे वैसे शौचालय में शौच? अब ये गरीब खुले में शौच करते हैं तो उसके लिए कौन दोषी है? सरकार ने हमारा ही पैसा हमारे नाम पर खर्च तो कर दिया लेकिन लाभ तो हमें नहीं मिला।

वित्तमंत्री का कहना है कि गरीबी इस देश में ५००० सालों से है। यह बात ऐतिहासिकता से परे है। जब हम गरीब ही थे तो वास्को दी गामा को क्या पड़ी थी भारत का जलमार्ग खोजने की? वित्तमंत्री जी हमारी विरासत को तो गाली मत दो। आपको हमारे जन-गन-मन पर गर्व न हो, हमें तो है। क्या हो गया है इस कांग्रेस पार्टी को? एक तरफ़ वह स्वर्गीय राजीव गाँधी के पंचायती राज के सपने को पूरा करने की बात करती है, दूसरी तरफ़ उसकी सरकार के मंत्री गांवों को मिटाने की बात करते हैं। वित्तमंत्री जी कहते हैं कि गरीबी-मुक्त भारत को लेकर उनका जो विचार है, उसमें तकरीबन ८५ फीसदी लोग शहरों में रहेंगे।

भाई हमें तो ये विरोधाभास समझ में नही आ रहा। किसी को आ रहा तो बताये, मेहरबानी होगी।