आधे से अधिक अफ्रीकी देशों के भोजन से अमेरिका एथनॉल व बायोडीजल बना रहा है। एक अमेरिकी स्पोर्ट्स बाइक की टंकी में एक बार में जितना एथनॉल डाला जा सकता है, उसे बनाने में लगने वाले अनाज को एक आदमी एक साल तक खा सकता है।
एक तरफ तो संयुक्त राष्ट्र संघ और फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन (एफएओ) इस बात की चेतावनी दे रहा है कि आगामी 10 साल में अफ्रीका के लगभग आधे देश भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे, वहीं अमेरिका गाड़ी चलाने के लिए अनाज से एथनॉल और तिलहन से बायोडीजल बनाने में जुटा है।
विश्व बैंक की रिपोर्ट भी इस बात को प्रमाणित कर चुकी है कि अमेरिका में बनने वाले एथनॉल और बायोडीजल के चलते ही विश्व में खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ रही हैं। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति बुश को किरकिरी से बचाने के लिए अभी तक इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। गौरतलब है कि बुश ने कहा था कि भारत और चीन के लोगों के ज्यादा खाने के कारण विश्व में खाद्य संकट हो रहा है।
एफएओ के मुताबिक, अमेरिका विश्व में उपजने वाले कुल मोटे अनाज के लगभग 12 फीसदी हिस्से से एथनॉल बनाने का काम करता है। वर्ष 2008-09 में विश्व में कुल 109.6 करोड़ टन मोटे अनाज के उत्पादन का अनुमान है। अमेरिका में इस दौरान 10.16 करोड़ टन मक्के से एथनॉल बनाए जाने की उम्मीद है। इसके अलावा ज्वार का इस्तेमाल भी एथनॉल बनाने में किया जाता है। अमेरिकी कृषि विभाग के मुताबिक इस साल पिछले साल के मुकाबले एथनॉल निर्माण के लिए 25 मिलियन टन अधिक मक्के का इस्तेमाल किया जाएगा।
वर्ष 2006-07 के मुकाबले यह मात्रा दोगुना है। मालूम हो कि 1 किलोग्राम अनाज से 103 ग्राम एथनॉल निकलता है यानी कि लगभग 10 किलोग्राम अनाज से 1 किलोग्राम एथनॉल निकलता है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर एक अमेरिकी सिर्फ 12-15 किलोमीटर का सफर कार से न करे तो दो अफ्रीकी बच्चे महीने भर का खाना खा सकते है। दूसरी ओर बायोडीजल के लिए सोयाबीन और पाम ऑयल का अमेरिका में धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2006-07 के दौरान अमेरिका में बायोडीजल के लिए सोया तेल का इस्तेमाल दोगुना हो गया है। उसके बाद से हर साल बायोडीजल के लिए सोया का इस्तेमाल 5-6 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। भारत में बायोडीजल मामले के विशेषज्ञ और दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के प्रो. नवीन कुमार के मुताबिक 4 किलोग्राम सोया से 1 किलोग्राम बायोडीजल बनता है।
लगभग इतनी ही मात्रा तिलहन से बायोडीजल बनाने में लगती है। हालत ऐसी है कि दुनिया भर में मोटे अनाज की कीमत साल भर में 45-65 फीसदी बढ़ी है। मक्के की कीमत में पिछले साल के मुकाबले इस साल मई में 50 फीसदी की तो ज्वार की कीमत में 60 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। खाद्य विशेषज्ञों का मानना है कि खाद्य सामग्री से जुड़ी किसी भी चीज के मूल्य बढ़ते ही उसके समर्थन में अन्य चीजों की कीमत भी बढ़ जाती है।
(बिजनेस स्टैंडर्ड से साभार)
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Tuesday, July 8, 2008
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