
गौरतलब है कि मक्के की उत्पत्ति मेक्सिको से ही मानी जाती है और वहां यह आहार का मुख्य स्रोत है। बहुराष्ट्रीय बीज कंपनियां जीन संवर्धित मक्का को उस देश में मंजूरी दिलाने के लिए लंबे समय से प्रयत्नरत रही हैं, लेकिन पिछले ग्यारह वर्षों से सरकार ने वहां जीएम मक्के की खेती पर रोक लगा रखी थी। हालांकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आखिरकार सफलता मिल ही गयी और पिछले माह वहां की सरकार ने डो एग्री साइंसेज और मोनसेंटो नामक कंपनियों को देश के उत्तरी क्षेत्र में करीब 13 हेक्टेयर भूमि के दो दर्जन प्लाटों में पराजीनी मक्के की परीक्षण खेती करने की अनुमति दे दी।
इस संबध में सरकारी अधिकारियों का कहना है कि जीन संवर्धित मक्के से प्राकृतिक किस्मों में जीनों के प्रवाह को रोकने के लिए उपयुक्त उपाय किए जा रहे हैं। उनका कहना है कि अभी सिर्फ प्रायोगिक खेती की जा रही है, जिसका उद्देश्य यह देखना है कि इन परिस्थितियों में जीन संवर्धित पौधे कितने कारगर हैं। वे कहते हैं, ‘’आधा हेक्टेयर से भी छोटे प्लॉट होंगे, प्राकृतिक मक्के से इतर समय में बीज डाले जाएंगे और देसी मक्के पर उसके असर के बारे में किसानों से सर्वेक्षण होगा।‘’
हालांकि परीक्षण खेती का विरोध कर रहे वैज्ञानिक इन तर्कों से आश्वस्त नहीं हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले के आनुवांशिकीविद मोंटगोमरी स्लाटकिन कहते हैं, ‘’देसी फसल को पराजीन-प्रदूषण से बचाने का कोई उपाय नहीं है।‘’ मेक्सिको के प्रमुख जीवविज्ञानी जोस सारुखन केरमेज कहते हैं, ‘’यदि मेक्सिको पराजीनी मक्के की प्रायोगिक खेती करता है तो यह आदर्श स्थितियों व समुचित निगरानी में होना चाहिए। लेकिन हमारे पास दोनों में से कोई चीज नहीं।‘’
फोटो नेचर से साभार