Friday, October 20, 2023

धोरडो : 22 साल पहले भूकंप से हुआ था तबाह, अब बेस्ट टूरिज्म विलेज बना

आज हम भारत के एक ऐसे गांव की चर्चा करेंगे जो 22 साल पहले भूकंप में पूरी तरह से बर्बाद हो चुका था, लेकिन आज विश्व पटल पर अपनी पहचान बना चुका है।

गुजरात (Gujarat) के कच्छ के एक छोटे से गांव धोरडो (Dhordo) को संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन (UNWTO) द्वारा बेस्ट टूरिज्म विलेज चुना गया है। उसने बेस्ट टूरिज्म विलेज 2023 (Best Tourism Village 2023) के रूप में दुनिया भर के 54 गांवों के नाम की घोषणा की है, जिसमें गुजरात के इस गांव को भी स्थान दिया है। 

संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन ने सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव 2023 की अपनी सूची की घोषणा करते हुए अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर जारी बयान में कहा कि यह सम्मान उन गांवों को दिया जाता है जो ग्रामीण इलाकों व परिदृश्यों के पोषण, सांस्कृतिक विविधता तथा स्थानीय मूल्यों व खान-पान परंपराओं के संरक्षण में अग्रणी हैं। संगठन के महासचिव ने कहा कि पर्यटन समावेशिता, स्थानीय समुदायों के सशक्तिकरण और सभी क्षेत्रों में लाभ के वितरण के लिए एक सशक्त जरिया हो सकता है। उन्होंने कहा कि संगठन की पहल उन गांवों को मान्यता देती है जिन्होंने अपने विकास और कल्याण के लिए पर्यटन को उत्प्रेरक के रूप में उपयोग किया है।

दरअसल साल 2021 में शुरू की गई यह पहल संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संघ के ग्रामीण विकास के लिए पर्यटन कार्यक्रम (tourism for rural development program) का हिस्सा है। कार्यक्रम पर्यटन के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और समावेशन को बढ़ावा देने, जनसंख्या में कमी से निपटने, नवाचार और मूल्य श्रृंखला एकीकरण को आगे बढ़ाने तथा टिकाऊ प्रथाओं (sustainable practices) को प्रोत्साहित करने के लिए काम करता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर धोरडो गांव की तस्वीरें पोस्ट करते हुए कहा, “कच्छ में धोरडो की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता का जश्न मनाया जाता देखकर बेहद रोमांचित हूं। यह सम्मान न केवल भारतीय पर्यटन की क्षमता को, बल्कि विशेष रूप से कच्छ के लोगों के समर्पण को भी दर्शाता है। धोरडो चमकता रहे और दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता रहे।”

धोरडो गांव भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित है। 2011 की जनगणना के मुताबिक इस गांव की आबादी 620 है। इस गांव को रण उत्सव की वजह से पहचान मिली है। यह उत्सव हर साल दिसंबर से फरवरी तक 3 महीने के लिए मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है। रण उत्सव की वजह से इस गांव में कई तरह के डेवलपमेंट के काम हुए हैं, जिससे यह गांव गुजरात के विकास का चेहरा बन गया है। 

बताया जाता है कि साल 2001 में गुजरात के कच्छ इलाके में आए विनाशकारी भूकंप ने गांव को पूरी तरह से तबाह कर दिया था। उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे। नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सीएम रहते ही धोरडो की दशा व दिशा सुधारने के प्रयास शुरू कर दिए। साथ ही गांव के गुलबेग मियां की कोशिशें भी रंग लाईं। गुलबेग मियां चाहते थे कि धोरडो गांव में रण उत्‍सव का आयोजन किया जाए, जिससे इसकी तस्‍वीर बदली जा सके। उनके पुत्र मियां हुसैन ने पिता की इच्‍छा गुजरात की तत्‍कालीन मोदी सरकार के पास पहुंचाई तो उनके सुझाव पर अमल हुआ और धोरडो की तकदीर बदलते देर नहीं लगी। वर्तमान में मियां हुसैन गांव के सरपंच हैं। उनके पिता अब नहीं हैं, लेकिन गांव में उनका स्मारक बना हुआ है।

धोरडो गांव में रण उत्सव के आयोजन के लिए यहां पर टेंट सिटी बनती है, जिसमें पर्यटक रुकते हैं और कच्छ के रेगिस्तान में फैले सफेद नमक का सर्दियों के सीजन में लुत्फ उठाते हैं। पिछले दिनों सरकार ने जी 20 की टूरिज्म बैठक यहीं पर आयोजित की थी। बताया जाता है कि 90 के दशक में यहां पर छोटे पैमाने पर दिनभर चलनेवाला उत्सव होता था। 2008 में तंबू में उत्सव की शुरुआत हुई।

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