सोशल नेटवर्किंग के बढ़ते हुए दायरे में अब पौधे भी आ गए हैं। ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के बाईसवर्षीय छात्र बशकिम इसाइ ने ब्रिसबेन स्थित क्वींसलैंड स्टेट लाइब्रेरी में कुछ पौधों को फेसबुक से जोड़ दिया है। इन पौधों को मीट ईटर नाम दिया गया है। साथ में यह तकनीकी व्यवस्था की गयी है कि प्रशंसकों के संदेश से इनका भरण-पोषण होता रहे। इसके लिए खाद और पानी की दो नलियां पौधों के गमलों से जोड़ दी गयी हैं। फेसबुक पर जब भी कोई इन पौधों का दोस्त बनता है अथवा इनके वाल पर मैसेज पोस्ट करता है, बीप की हल्की आवाज के साथ खाद-पानी नलियों के जरिए अपने आप गमले तक पहुंच जाता है।
हालांकि ऑनलाइन दोस्तों का ज्यादा प्यार इन पौधों के लिए नुकसानदेह भी हुआ। दोस्तों ने इतना अधिक खाद-पानी दे दिया कि दो बार पौधे मर गए। अब पौधों की ऐसी किस्में लगायी गयी हैं जो ज्यादा पानी सह सकें। अब पानी के स्तर को नियंत्रित रखने की स्वचालित व्यवस्था भी की गयी है।
मीट ईटर के दोस्त भोजन-पानी दिए जाने का नजारा भी ऑनलाइन देख सकते हैं। इसके लिए गमलों पर कैमरा लगाया गया है, जिसके जरिए लाइव फुटेज देखे जा सकते हैं।
करीब तीन माह के हो चुके इन पौधों के दुनिया भर में अब तक आठ हजार से भी अधिक दोस्त बन चुके हैं। इस परियोजना को इस साल के अंत तक जारी रखने की इसाइ की योजना है।
यदि आप भी इन पौधों के दोस्त बनना चाहते हैं तो यहां जाएं : http://www.facebook.com/meeteater
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Sunday, September 19, 2010
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