Friday, July 3, 2009

समलैंगिकता, सविता भाभी, भूजल दोहन और हिंदी

आज पहली बार हमारे गांव के मैनेजर बाबू को यह दुनिया अच्‍छे लोगों और अच्‍छाइयों से भरी-पूरी लग रही है। जिन पढ़े-लिखे शहरी लोगों को वे जेठ की दुपहरी में पानी पी-पीकर कोसा करते थे, आज उनके प्रति उनका प्‍यार उमड़ पड़ा है।

मैनेजर बाबू अपने समय के रईस तो थे ही, रसिक भी कम न थे। उनके दालान में जब लगातार महीना दिन तक लवंडों (पैसे के लिए स्‍त्री वेश धर नाचने वाले पुरुष) या नचनियों (नर्तकी) का नाच होता तो गांव-जवार के लोग चर्चा करते नहीं अघाते।

हालांकि मैनेजर बाबू इन दिनों बड़ा चिंतित रहा करते थे। जबसे उन्‍होंने भूजल दोहन के अवैध कारोबार की श्रेणी में आने की बात सुनी थी, उन्‍हें हर जगह कलियुग ही दिखाई देता। किसी ने उन्‍हें सविता भाभी के बारे में भी बता दिया था और वे उन श्रीमती जी की चर्चा कर सबसे कहते कि इस अधर्म के बोझ तले अब धरती धंसनेवाली ही है।

लेकिन अजीब बात यह हुई कि उस वेबसाइट पर सरकार द्वारा बैन लगाए जाने की खबर सुनकर मैनेजर बाबू और अधिक दुखी हो गए। अब उन्‍हें आशंका सता रही थी कि कहीं ये मुई सरकार नचनियों के नाच पर भी रोक न लगा दे – ‘’जब पल्‍लू सरका के नाचती हैं तो लगता है कि आसमान से साक्षात अप्‍सराएं उतर आयी हैं, ...अब बुढ़ापे में इस सुख से भी वंचित होना पड़ेगा।‘’

बहरहाल जब से मैनेजर बाबू ने वयस्‍कों के समलैंगिक संबंधों को जायज ठहरानेवाले अदालती आदेश की खबर सुनी है, उनका डूबता हुआ दिल फिर से बल्लियों उछलने लगा है। मन में लड्डू फूट रहे हैं – ‘’अब ज्‍यादा कोई टोकेगा तो मुनेशरा से बियाह कर लेंगे।‘’

मुनेशर इलाके का नामी लवंडा था, जो महीनों मैनेजर बाबू के यहां आ कर रहता। लोग इन दोनों के संबंध के बारे में तरह-तरह की बातें किया करते, जिसकी भनक मैनेजर बाबू तक भी पहुंचती ही रहती थी। यह बात जानकर मैनेजर बाबू की खुशी चौगुनी हो गयी थी कि समलैंगिकता को कानूनी मान्‍यता के फैसले को मानवतावादियों का पुरजोर समर्थन मिल रहा है।

इस खुशी में आज मैनेजर बाबू ने जमकर सुरापान किया। तब वे शहरी लोगों की तरह अंगरेजी में बोलकर अपनी खुशी जताना चाहते थे, लेकिन इफ, बट और दिस, दैट के अलावा उन्‍हें कोई और शब्‍द न सूझा।

थोड़ी देर बाद वे जोर-जोर से बोलने लगे। वे हर आने-जानेवाले से पूछ रहे थे – ‘’सरकार राजकाज में अंगरेजी की जगह हिन्‍दी को मान्‍यता देनेवाला आदेश क्‍यों नहीं लाती ? हिन्‍दीभाषियों के (मानव)अधिकार कुछ भी नहीं ? गांववाले आपस में बतिया रहे थे – ‘’मैनेजर बाबू ने आज कुछ ज्‍यादा ही चढ़ा ली है...मैनेजर साहब नहीं, दारू बोल रहा है।‘’

(कहानी पूरी तरह कल्‍पना पर आधारित, चित्र इकनॉमिक टाइम्‍स से साभार)

21 comments:

  1. मुनेशरा का क्या हाल है वह भी लिख देते तो बडा अच्छा होता :)

    अच्छी पोस्ट।

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  2. क्या कहें इस विषय पर टिप्पणी करने से अपने को हठात रोक रखा है !

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  3. गांववाले आपस में बतिया रहे थे – ‘’मैनेजर बाबू ने आज कुछ ज्‍यादा ही चढ़ा ली है...मैनेजर साहब नहीं, दारू बोल रहा है।‘’

    सब कुछ तो गांव वालों ने कह ही दिया है.:)

    रामराम.

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  4. आप के मनीजर बाबू भी मानसिक विकलांग दीखते हैं।

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  5. सतीश भाई, मुनेशरा को अभी इस हलचल की खबर नहीं है। समीप के गांव में एक एड्स पीडि़त युवक ने आत्‍मदाह कर लिया है। समाचार का लिंक यह है http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_5592476.html हो सकता है मुनेशरा वहीं गया हो।

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  6. नॉन ईश्यूज पर बहुत समय लगता है भारत में। मैनेजर साहब से घटियोत्तम लोग बहुत हैं!

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  7. एक बार महोबा के पास ऐसे ही एक लड़की ने लिफ़्ट मांगी थी।सबके मना करने के बावज़ूद गाड़ी चला रहे मित्र अब्दुल हकीम ने उसे लिफ़्ट दे दी थी बाद मे उसने यही कहानी बताई थी घूम-घूम कर नाचने की।मगर एक बात है वो दिखता/दिखती सेम टू सेम था/थी।

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  8. अरे बार पे, एक साथ चार चार समस्याएं।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  9. मैनेजर बाबू !! की तो खुब मोजे ही मोजे. लोगो का क्या कहना , कुछ तो लोग कहेगे...

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  10. yah bhii khoob chhantii hai...

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  11. sabhi vishy ek saath . bahut dardnaak ho raha hae mneger shaab ke liye

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  12. होई हे वही जो राम रचि रखा
    को करी तर्क बढ़ावे साखा

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  13. सटीक विश्लेष्ण

    वीनस केसरी

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  14. Wow amazing article dear, I found what I was looking for, thanks for sharing this information

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  15. बहुत ही कमाल का पूछते हैं आप हमारे वेबसाइट में भी आकर ऐसे पोस्ट पढ़ सकते हैं

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  16. मैंने आपका पेज ठीक से पढ़ा, मुझे आपकी पोस्ट बहुत पसंद आई, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप हमारे पेज को देखें और मुझे बताएं कि आपको कैसा लगा धन्यवाद। मैंने कुछ चालीसा आपके लिए लिखें है कृपया कर कर पढ़े |
    श्री दुर्गा चालीसा, श्री शिव चालीसा, श्री गणेश चालीसा, श्री शनि चालीसा

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