क्या आप ने कभी सोचा है कि बांस से कार या टैक्सी भी बन सकती है? नीचे के छायाचित्रों को देखिए। इन टैक्सियों का 90 फीसदी हिस्सा बांस का है और ये नारियल से तैयार बायोडीजल पर चलती हैं। इन्हें ईको टैक्सी (ECO taxis) नाम दिया गया है तथा फिलहाल इनके दो मॉडल तैयार किए गए हैं : ईको 1 और ईको 2 । ईको 1 में 20 आदमी बैठ सकते हैं। एक गैलन बायोडीजल में यह आठ घंटे तक चलती है। ईको 2 भी एक गैलन बायोडीजल में आठ घंटे चलती है, हालांकि इसमें 8 आदमी ही बैठ सकते हैं। वैसे ईको 2 में स्टीरियो साउंड सिस्टम भी है।
दरअसल ये बांस की टैक्सियां फिलीपीन्स के टाबोंटाबोन शहर के मेयर रूस्टिको बाल्डेरियन के सोच की उपज हैं, जिन्होंने शहरवासियों की जरूरतों को ध्यान में रख इन्हें तैयार कराया। धान की खेती के लिए जाने जानेवाले इस छोटे-से शहर में लोगों के आवागमन का मुख्य साधन मोटरसाइकिलें हैं। भाड़े के वाहनचालक पांच-छह लोगों को बैठाकर मोटरसाइकिलें चलाते हैं, जो असुविधाजनक और खतरनाक दोनों है। आवागमन के साधन के रूप में इन मोटरसाइकिलों के विकल्प के तौर पर बांस की टैक्सियों को तैयार किया गया है। इनकी लागत तो कम है ही, ये सुरक्षित और पर्यावरण हितैषी (eco friendly) भी हैं। बांस तेजी से नवीनीकरण होने योग्य वस्तु है तथा स्थानीय तौर पर प्रचुरता में उपलब्ध है। बांस काफी लचीला होता है और इस दृष्टि से इसकी मजबूती भी कम नहीं आंकी जा सकती। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इन टैक्सियों को स्थानीय स्तर पर पर स्थानीय सामग्री से स्थानीय युवकों ने तैयार किया है।
यदि संबंधित खबर को अंग्रेजी में पढ़ना चाहते हों तो इन कडियों पर जाएं : TOTI Eco और Inhabitat.
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बढिया जुगाड़ है ये तो
ReplyDeleteयह भी ख़ूब रही
ReplyDelete--
श्री युक्तेश्वर गिरि के चार युग
aacchi jankari di aapne dhanywad
ReplyDeleteये तो बहुत बढ़िया लग रही है!!
ReplyDeletethis is good one...in the third photo...there is a man who travelled whole world...i seen him in net geo
ReplyDeleteबहुत बढ़िया नवाचार है यह...
ReplyDeleteरोचक जानकारी है। वैसे बाँस के बने अंडरवियर देखना हो तो इस लिंक पर देखिये। इस पोस्ट में झलक रहे पर्यावरण प्रेम को देखिये । ये रहा लिंक।
ReplyDeletehttp://safedghar.blogspot.com/2008/09/blog-post_21.html
बहुत ही खुबसूरत है ये |
ReplyDeleteइन्होने तो हमारे जुगाड़ को पीछे छोड़ दिया |
वाह बहुत खूब! मैंने अपने ब्लोग जयहिंदी में असम के एक व्यक्ति दाधी पाठक के बारे में लिखा था जिन्होंने भी बांस से कई चीजें बनाई हैं, जैसे साइकिल। वे बांस के नकली दांत भी बनाकर लोगों में लगाते हैं, जो दंतचिकित्सकों के यहां से उपलब्ध नकली दांतों से कई गुना सस्ते होते हैं। यह रही उस पोस्ट की कड़ी -
ReplyDeleteबांस के दांत
वाह ये हुई न बात.. काफी इनोवेटिव आईडिया है.. पसंद आया..
ReplyDeleteइनकी कलात्मकता और जुगाडूपने की दाद दी जानी चाहिए. आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है.
ReplyDeleteक्या तीसरे फोटोग्राफ में टेक्सी के साथ खड़े हुए वर्जिन ग्रुप के मालिक रिचर्ड ब्रेन्सन हैं?
बहुत रोचक और शुकुनदायक समाचार है. सुंदर भी बहुत लग रही हैं.
ReplyDeleteरामराम.
खूबसूरत टैक्सियाँ हैं।
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉग नेटवर्क पर अपना ब्लॉग बनायें और अपने उत्कृष्ट लेखों की कीमत वसूल करें। आप अपना मौजूदा ब्लॉग वहां इम्पोर्ट कर सकते हैं।
अपने यंहा भी बांस बहुत है मगर………।…………………………………॥
ReplyDeleteभई कमाल है! लोगों के दिमाग में भी न जाने कैसे कैसे आयडिए आ जाते हैं।
ReplyDeleteक्या गजब की चीज हैं यह! और क्या गजब की चीज है बांस।
ReplyDeleteगजब....देखकर अच्छा लगा
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर हैं...
ReplyDeleteलेकिन भारत के लिये बेकार है.
ReplyDeleteभारतीय जुगाड़ का ही परिष्कृत भाई लग रहा है.
ReplyDeleteआश्चर्यजनक किन्तु सत्य।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
यह भी खूब रही!
ReplyDeleteबारिश में क्या होगा?
अद्भुत! इस ईको फ्रेंड्ली ख़बर के लिए बधाई.
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