
हम बात कर रहे हैं उसकी, जो अफगानिस्तान का इकलौता ज्ञात सुअर है। वहां सुअर के मांस से बने उत्पादों को अवैध माना जाता है तथा वहां के लोगों के लिए सुअर एक अजूबा ही है। चूंकि पश्तु भाषा में सुअर को खानजीर कहा जाता है, इसलिए उसे वहां इसी नाम से जाना जाता है।
खानजीर को चीन ने 2002 ईस्वी में अफगानिस्तान को दिया था। तब से वह वहां की राजधानी काबुल के चिडियाघर में रहता है। पहले वह चिडियाघर के हिरण और बकरियों के साथ चरा करता था, लेकिन दुनिया में स्वाइन फ्लू बीमारी फैलने के बाद उस बेचारे की बदनसीबी की हद हो गयी। अब उसे सभी प्राणियों से अलग-थलग कमरे में रखकर एकांतवास दे दिया गया है।
चिडियाघर के निदेशक अजीज गुल साकिब बताते हैं कि अफगान लोगों को स्वाइन फ्लू बीमारी के बारे में बहुत जानकारी नहीं है। इसलिए जब वे इस सुअर को देखते तो उन्हें डर सताने लगता कि कहीं वे भी एच1एन1 वायरस से संक्रमित न हो जाएं।
बहरहाल, सुअर तो सुअर हैं, मानवाधिकार जैसा उनका कोई सुअराधिकार तो होता नहीं। फिर भी, परिवार और समाज से अलग-थलग एकांत जीवन काटना किसी के लिए तकलीफदायी ही है। हम तो यही कहेंगे कि इस जीवन से मौत भली।
(चित्र और खबर का स्रोत : बीबीसी न्यूज)