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Saturday, September 5, 2009

ब्रोकोली खाइए, ब्रोकोली उगाइए... अब वैज्ञानिक भी बता रहे इसके गुण

ब्रोकोली हृदय के लिए फायदेमंद है, यह बात बहुत पहले से कही जाती रही है। लेकिन अब ब्रिटिश वैज्ञानिक यह भी बता रहे हैं कि ब्रोकोली किस तरह फायदेमंद है। लंदन स्थित इंपीरियल कॉलेज के शोधकर्ताओं को ब्रोकोली व अन्‍य हरी पत्‍तेदार सब्जियों में एक ऐसे रसायन के साक्ष्‍य मिले हैं जो धमनियों में रुकावट के खिलाफ शरीर के प्राकृतिक सुरक्षातंत्र को मजबूत बनाता है।

उल्‍लेखनीय है कि हृदयाघात सहित हृदय संबंधी अधिकतर बीमारियां धमनियों में चर्बी की वजह से होनेवाली रुकावट के चलते ही होती हैं। ब्रिटिश हर्ट फाउंडेशन की आर्थिक सहायता से चूहों पर किए गए अध्‍ययन में इन शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि ब्रोकोली में सल्फोराफेन नामक रसायन प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, जो एनआरएफ2 नामक रक्षक प्रोटीन को सक्रिय करता है। एनआरएफ2 प्रोटीन उन धमनियों में ज्‍यादा सक्रिय नहीं होता जो बीमारी के लिए संवेदनशील होती हैं।

शोध दल के मुखिया डॉक्टर पॉल ईवान्स कहते हैं, "हमने पाया है कि धमनियों की शाखाओं और मोड़ों वाले क्षेत्रों में एनआरएफ़2 नामक रसायन ज्‍यादा सक्रिय नहीं होता है। इससे स्पष्ट होता है कि इसीलिए ये क्षेत्र बीमारी के लिए ज्‍यादा संवेदनशील होते हैं, यानी वहां से दिल की बीमारी जन्म ले सकती है।‘’ वे कहते हैं, " सल्फोराफेन नामक प्राकृतिक रसायन के जरिए अगर इलाज किया जाए तो यह ज्‍यादा ख़तरे वाले क्षेत्रों में एनआरएफ़2 नामक प्रोटीन को सक्रिय करके सूजन को कम कर देता है।" उन्‍हीं के शब्‍दों में, "सल्फोराफेन नामक रसायन ब्रोकोली में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। इसलिए हमारा अगला कदम इस बिंदु पर अध्ययन करना होगा कि क्या क्‍या सिर्फ ब्रोकोली और इस परिवार की अन्य सब्जियों - बंदगोभी और पत्तागोभी को खाने भर से ही इस तरह के रक्षात्मक लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।"

दरअसल माना जाता है कि हरे रंग व गोभी के आकार की ब्रोकोली देखने में जितनी सुंदर है, उतनी ही सेहत के लिए गुणकारी। इसके कैंसर में भी लाभदायक होने की बात सामने आती रही है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि ब्रोकोली की खेती के लिए ठंडी और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। यदि दिन अपेक्षाकृत छोटे हों, तो फूल की बढोत्तरी अधिक होती है। फूल तैयार होने के समय तापमान अधिक होने से फूल छितरे, पत्तेदार और पीले रंग के हो जाते है। जाहिर है कि उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में जाड़े के दिनों में इस सब्‍जी की खेती सुगमतापूर्वक की जा सकती है।

हो सकता है आप भी इस गुणकारी सब्‍जी को अपने अहाते के अंदर उगाना चाहें। उस स्थिति में इस लिंक पर आप को जरूरी जानकारियां मिल जाएंगी।