
पाठक www.wdl.org पर जाकर दुनिया की तमाम दुर्लभ पुस्तकें पढ़ सकते हैं। यह 19 देशों के पुस्तकालयों के सहयोग से साकार हुआ है।
अमेरिकी कांग्रेस के वाशिंगटन स्थित पुस्तकालय और मिश्र के एलेक्जेण्ड्रिया पुस्तकालय ने मिलकर इसे विकसित किया है, और इसे यूनेस्को के पेरिस कार्यालय से लांच किया गया है।
हालांकि यह ऐसा पहला अंतर्राष्ट्रीय प्रयास नहीं है। इंटरनेट सर्च इंजिन गूगल ने 2004 में ऐसा ही प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसके अलावा यूरोपीय संघ ने नवंबर, 2008 में अपना डिजिटल पुस्तकालय शुरू किया था।
यूनेस्को के इस नये पुस्तकालय के जरिये उपयोगकर्ताओं को विश्व की सात भाषाओं में दुर्लभ पुस्तकें, मानचित्र, पाण्डुलिपियां और वीडियो मिल सकते है, और दूसरी भाषाओं में भी जानकारी उपलब्ध है।
यूनेस्को के संचार और सूचना महानिदेशक अब्दुल वहीद खान कहते हैं कि इससे विश्व के देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
(चित्र व जानकारी का स्रोत : वॉयस ऑफ अमेरिका)
बहुत काम का लिंक दिया। धन्यवाद।
ReplyDeleteइतनी अच्छी जानकारी देबे के लिए आपका आभार.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जानकारी दी है आपने शुक्रिया
ReplyDeleteअत्यन्त उपयोगी लिंक । धन्यवाद ।
ReplyDeleteइस अनोखे डिजिटल पुस्तकालय के बारे में जानकर अच्छा लगा.. आभार
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद इस जानकारी के लिये.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत महत्वपूर्ण जानकारी -शुक्रिया !
ReplyDeleteवाह .. जानकारी और लिंक देने का शुक्रिया।
ReplyDeleteअशोक जी यह बताइए की हिन्दी की पांडुलिपियाँ भी हैं की नहीं यहाँ पर??
ReplyDeleteप्राइमरी का मास्टर फतेहपुर
अभी तो नहीं दिखा रहा है ....हिन्दी !!
ReplyDeleteचलिए कुछ दिनों में हो ही जायेगा !!
प्राइमरी का मास्टर फतेहपुर
बढ़िया जानकारी।
ReplyDeleteआभार आपका,बडे काम की जानकारी दी आपने।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी. काम का लिंक है.
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