ब्लॉग पत्रिका निरंतर के ताजा अंक में प्रकाशित अपने एक आलेख में हमने कहा है कि गांव को शहर बनाने की बात बाजार की ताकतों के दबाव में की जा रही है। भारत की ग्रामीण आबादी को उपभोक्ता बनाने के लिये बहुराष्ट्रीय कंपनियां बेकरार हैं। इकनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित यह खबर ग्रामीण भारत को अपने ग्राहक में तब्दील करने की उद्योगजगत की बेकरारी का परिचायक है :
देश की पहली लखटकिया कार पेश करने की टाटा की घोषणा के साथ ही दूसरी कार कंपनियों का सिरदर्द शुरू हो गया था। अक्तूबर में टाटा नैनो को लॉन्च किया जाना है। ऐसे में मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं।
कंपनी ने ग्रामीण विपणन अभियान के जरिए ज्यादा ग्राहकों के बीच पहुंचने का फैसला किया है। इसमें दूर-दराज के इलाकों तक पहुंच मजबूत बनाना और आकर्षक कीमतों पर प्रमुख इकनॉमी मॉडल को पेश करने के साथ हर तालुका और पंचायत तक पहुंचना शामिल है। इस मिशन का लक्ष्य उन सभी लोगों तक पहुंचना है जो कार खरीदने की हैसियत रखते हैं।
मारुति क्षेत्र विशेष में मुहैया कराए जा रहे डिस्काउंट से ज्यादा अतिरिक्त छूट मुहैया करा रही है। मसलन, मारुति 800 खरीदने पर 5,000 रुपए का डिस्काउंट दिया जा रहा है जबकि कंपनी ने ओमनी की कीमतों में 3,000 रुपए की कटौती की है। आल्टो, वैगन आर और जेन एस्टिलो जैसे मॉडल 2,000 रुपए की छूट पर बेचे जा रहे हैं।
' पंचायत स्कीम' नामक इस योजना का उद्देश्य कारों को उन लोगों तक पहुंचाना है जो गांवों में रसूख रखते हैं। मारुति जिन लोगों को लक्ष्य बना रही हैं उनकी सूची में पंचायत के सदस्य, स्थानीय ग्रामीण बैंक के कर्मचारी, ग्रामीण अस्पतालों के डॉक्टर, सामान्य स्वास्थ्य केन्द्रों के सदस्य, शिक्षक, नम्बरदार, तहसीलदार और उनका स्टाफ शामिल है।
दिलचस्प बात है कि एमएसआई ने ग्रामीण भारत में 32,000 से ज्यादा वाहन बेचे हैं। इन इलाकों में पटना का दानापुर है तो गुजरात का गोंडल भी जो राजकोट से 30 किलोमीटर के फासले पर है।
एक खास लोकेशन में करीब 20 वाहन बेचने पर मारुति सुजुकी के अधिकारियों ने एक समारोह आयोजित किया जिसमें गाड़ियों की चाबी सौंपी गईं। इस समारोह में करीब 100 लोगों को बुलाया गया था जिनमें पंचायत सदस्य, आढ़ती, स्कूली शिक्षक, ग्रामीण डॉक्टर, सरकारी दफ्तरों के अफसर, जिलाधिकारी, जिला पंचायत प्रमुख और विधायक जैसे प्रमुख लोग शामिल रहे।
इस आयोजन के बाद ऋण मेला लगाया गया जिनमें वित्तीय इकाइयों ने सक्षम ग्राहकों को कर्ज मुहैया कराने की पेशकश की। इसके अलावा एमएसआई के कारखाने का दौरा करने के वाले एक दल का चुनाव भी किया गया।
देशव्यापी ग्रामीण मार्केटिन्ग रणनीति में एक कदम आगे बढ़ाते हुए मारुति सुजुकी ने हाल में सिंगूर में ग्रामीण महोत्सव का आयोजन किया जहां से उसकी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कंपनी टाटा अक्तूबर में नैनो को बाजार में उतारेगी। इसके बाद कल्याणी में भी इसी तरह का कार्यक्रम किया गया। एमएसआई के एक अधिकारी ने बताया कि हम पूरे पश्चिम बंगाल में इसी तरह के आयोजन करेंगे।
अधिकारी ने कहा, 'गांवों के ऐसे प्रभावशाली लोगों की काफी तादाद है जो एक कार रखना चाहते हैं। मारुति ने इन सक्षम ग्राहकों के ख्वाब को हकीकत में तब्दील करने के लिए शीर्ष स्तरीय सेवाएं मुहैया कराने को विशेष उपाय किए हैं।'
ग्रामीण इलाकों से जुड़ी पहल से कंपनी की गांवों में मौजूदगी पुख्ता होगी। इनमें ग्रामीण इलाकों में सेल्स एवं सर्विस सुविधाओं के साथ विशेष एक्सटेंशन काउंटर शामिल हैं।
अपनी पहुंच को मजबूत बनाने के लिए कंपनी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और उससे जुड़े बैंक तथा श्रीराम फाइनैंस, मैग्मा फाइनैंस और एमएंडएम फाइनैंसिंग जैसी वित्तीय कंपनियों के साथ गठबंधन किया है।
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ग्रामीण क्षेत्र में इस तरह के प्रयास सराहनीय है.. आपका आभार जो आप अपनी ब्लॉग पर इस तरह की खबरो को स्थान देते है
ReplyDeleteबहुत आभार इसे पढवाने का.
ReplyDeleteबहुत खोजपरक लेख है - धन्यवाद. विकास तो गाँव तक आना ही है - पक्की सड़क भी और कार भी. बाज़ार की हवा को रोका नहीं जा सकता क्योंकि संसार का पालन तो लक्ष्मीपति ही करते हैं. हाँ, बाज़ार को और धनार्जन के साधनों को नियमित ज़रूर किया जाना चाहिए. इसके साथ ही अपराध एवं काले धन के प्रति सहनशीलता का खात्मा होना चाहिए.
ReplyDeleteसुपर मार्केट के क्षेत्र की कई कम्पनियाँ पहले ही गाँवों में पैठ कर चुकी हैं... अब इसका घाटा-फायदा तो वक़्त ही बतायेगा.
ReplyDeleteशायद हम कारों के लिये इस प्रकार के "ऋणम कृत्वा कारम ग्रहेत" अभियान को रोक तो नहीं पायेंगे। पर मैं ऋण लेकर ट्रेक्टर लेने के तो पक्ष में हूं - जो कमाई का औजार है; ऋण ले कर कार लेने के पक्ष में नहीं।
ReplyDeleteachha pryas is krishi prdhan desh me aap se aise hi sarokar ki aavasykta hai.
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