समय से पहले मानसून के आ धमकने और उत्पादन क्षेत्रों में काफी अच्छी बारिश होने से इस बार देश में धान के कुल उत्पादन में बढ़ोतरी का अनुमान है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में संभावना जतायी गयी है कि इस साल भारत में धान के उत्पादन में लगभग 1.39 फीसदी यानी 20 लाख टन की वृद्धि हो सकती है। एफएओ का अनुमान है कि इस साल यहां धान का कुल उत्पादन 14.55 करोड़ टन रहेगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल (2007) 14.35 करोड़ टन धान का उत्पादन हुआ था। जबकि 2006 में 14 करोड़ धान पैदा किया गया था। केंद्रीय कृषि विभाग द्वारा इकट्ठे किए गए आंकड़ों के मुताबिक, अब तक धान के रकबे में 5.45 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है। पिछले साल इसी समय जहां 86.90 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी वहीं इस साल 92.35 लाख हेक्टेयर में रोपाई हो चुकी है।
विश्लेषकों के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम मानूसन के बेहतर रहने के चलते इस साल खरीफ उत्पादन की शुरुआती तस्वीर बढ़िया दिख रही है। फिर भी इसकी वास्तविक स्थिति तभी बेहतर हो पाएगी, जब जुलाई और अगस्त में भी यह मानसून अच्छी बारिश करा सके। हालांकि धान के दो मुख्य उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र ने कम बारिश के चलते राज्य में सूखे जैसी स्थिति की घोषणा की है। मौसम विभाग ने इन इलाकों की स्थिति में जल्द ही सुधार आने के संकेत दिए हैं और कहा है कि यहां जल्द ही अच्छी बारिश हो सकती है।
देश के उत्तरी और पूर्वी राज्यों जैसे जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और पूर्वी राजस्थान में पर्याप्त बारिश हुई है जबकि पश्चिमी राजस्थान, गुजरात और पश्चिमी मध्य प्रदेश में औसत बारिश ही हुई है। दूसरी ओर, दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में सामान्य से कम बारिश हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक, अब तक देश के 36 में से 23 सब-डिवीजनों में औसत बारिश हुई है पर 13 में औसत से कम बारिश हुई है।
जून में इस साल 268.5 मिलीमीटर बारिश हुई है जबकि इस महीने में बारिश का औसत 243.8 मिलीमीटर है। इस तरह देश में जून महीने में औसत से 10 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। मोटे अनाजों और दालों के रकबे में भी क्रमश: 9.01 फीसदी और 2.18 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है। 87.35 लाख हेक्टेयर और 30.85 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाजों और दालों की बुआई की जा चुकी है। एफएओ की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस साल देश का कुल खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल के 25.5 करोड़ टन की तुलना में थोड़ा बढ़कर 25.79 करोड़ टन हो जाएगा।
साल 2006 में तो खाद्यान्नों का कुल उत्पादन 24.26 करोड़ टन ही रहा था। अभी-अभी खत्म हुए रबी सीजन में बेहतरीन मौसम के चलते गेहूं के कुल उत्पादन में जोरदार बढ़त दर्ज की गई। 2007 के रबी सीजन की तुलना में इस बार 22 लाख टन ज्यादा गेहूं उपजाया गया। इस बार गेहूं का कुल उत्पादन 7.8 करोड़ टन रहा जो पिछले 8 सालों में सबसे ज्यादा है।
खाद्यान्नों के उत्पादन में ऐसी बढ़ोतरी होने से विश्लेषकों का मानना है कि 2008-09 साल में देश की खाद्यान्न जरूरतों को आसानी से पूरा किया जा सकेगा। 2006-07 के दौरान देश को 67 लाख टन जबकि 2007-08 में 20 लाख टन गेहूं का आयात करना पड़ा था। एफएओ के ताजा पूर्वानुमान के मुताबिक, 2008 में दुनिया का खाद्यान्न उत्पादन 218 करोड़ टन हो जाएगा। पिछले साल की तुलना में यह 2.8 फीसदी ज्यादा पर पहले के अनुमान से कम है।
(खबर बिजनेस स्टैंडर्ड से साभार)
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यह तो अच्छी खबर है, कुछ मंहगाई पर भी नियंत्रण हो जायेगा. आभार इस आलेख का.
ReplyDeleteअसल में जैसे कंस्ट्रेन्ट्स बहुत हैं वैसे सम्भावनायें भी बहुत हैं कृषि में।
ReplyDeleteशायद एक नये स्तर पर कृषि करने की आवश्यकता है।
उत्पादन अच्छा हो तो सबको लाभ होगा... अच्छी ख़बर.
ReplyDeleteआप लोगों को इन्टरनेट पर खेती बाडी व किसानो की समस्याओं पर आवाज उठाते देख बहुत अच्छा लगा,
ReplyDeleteमें आईटी का विद्यार्थी हूँ और एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूँ जिससे किसानो को इन्टरनेट के जरिये उनकी खेती में सहयोग सलाह व
मदद दी जा सके,
आप से अनुरोध है की आप इस प्रोजेक्ट के गूगल ग्रुप से जुड़ कर अपना सहयोग दें |
http://groups.google.co.in/group/fdaindia
धन्यवाद
-खेतेश्वर बोरावत