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आज पहली बार हमारे गांव के मैनेजर बाबू को यह दुनिया अच्छे लोगों और अच्छाइयों से भरी-पूरी लग रही है। जिन पढ़े-लिखे शहरी लोगों को वे जेठ की द...
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हमारे गांवों में एक कहावत है, 'जिसकी खेती, उसकी मति।' हालांकि हमारे कृषि वैज्ञानिक व पदाधिकारी शायद ऐसा नहीं सोचते। किसान कोई गलत कृ...
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आज के समय में टीवी व रेडियो पर मौसम संबंधी जानकारी मिल जाती है। लेकिन सदियों पहले न टीवी-रेडियो थे, न सरकारी मौसम विभाग। ऐसे समय में महान कि...
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वेदों का चर्खा चला, सदियां गुजरीं। लोग-बाग बसने लगे। फिर भी चलते रहे। गुफाओं से घर उठाये। उंचे से नीचे उतरे। भेड़ों से गायें रखीं। जंगल से ब...
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झारखंड प्रदेश से भोजपुरी की नयी त्रैमासिक पत्रिका परास का प्रकाशन आरंभ हुआ है। तेनुघाट साहित्य परिषद (बोकारो) द्वारा निकाली जा रही इस पत्र...
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श राब के शौकीन लोगों के लिए यकीनन यह एक रोचक खबर है। वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में जौ उपजाकर बीयर तैयार की है और इसका नाम 'स्पेस बार्ली...
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जब हम भारतीय पत्रकारिता की प्रकृति और स्थिति में बदलाव पर विचार करते हैं, तो निश्चित तौर पर विभाजक रेखा देश की आजादी ही हो सकती है। देश की आ...
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आ म यानी मेग्नीफेरा इंडिका का रसदार फल। फलों का राजा। भारत का राष्ट्रीय फल। महाकवि कालीदास ने इसकी प्रशंसा में गीत लिखे। यूनान के प्रतापी ...
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भाषा का न सांप्रदायिक आधार होता है, न ही वह शास्त्रीयता के बंधन को मानती है। अपने इस सहज रूप में उसकी संप्रेषणयीता और सौन्दर्य को देखना हो...
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अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद। अपने विचारों से हमें जरूर अवगत कराएं, उनसे हमारी समझ बढ़ती है।