Tuesday, August 11, 2009

अब आप ही बताएं ... मैं चीन की निंदा करूं या धन्‍यवाद दूं!

भारतीय कृ‍षि के बारे में कहा जाता है कि वह मानसून के साथ जुआ है। यह दुर्भाग्‍य है कि आजादी के छह दशकों बाद भी इसकी इस दु:स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। सच तो यह है कि आजाद भारत के भाग्‍य विधाताओं ने भारतीय किसानों को मानसून के साथ जुआ खेलने की स्थिति में भी नहीं छोड़ा। पहले हमारे गांवों में ताल, पोखर, आहर जैसे वर्षा जल संचयन साधनों की भरमार थी, जिनकी बदौलत हमारी खेती मानसून की बेरूखी से टक्‍कर ले सकती थी। आज वे सभी समाप्‍तप्राय हैं। पर्यावरण के शत्रु बन चुके अतिक्रमणकारियों ने पुआल और मिट्टी से पाटकर उन्‍हें खेत बना डाला अथवा उनकी जमीन पर मकान बना डाले। हमारी सरकार वर्षा जल संचयन के उन प्राकृतिक स्रोतों की हिफाजत में पूरी तरह विफल रही।

बिहार के जिस कैमूर जिले में मैं रहता हूं, वह भीषण सूखे की चपेट में है। जीवन को प्रवाहमान रखने के लिए हम किसानों के सामने मानसून के साथ जुआ खेलने के अलावा कोई विकल्‍प नहीं बचा है। लेकिन यह जुआ खेलते भी तो किस बूते। हमारे गांव के आहर-तालाब अतिक्रमणकारियों के लालच और सरकार की बेरूखी की भेंट चढ़ चुके हैं। नहर में पानी का टोटा पड़ा हुआ है। बिजली सिर्फ दर्शन भर के लिए आती है। डीजल पर अनुदान जैसी राहत की सरकारी घोषणाएं सिर्फ कागजों पर हैं। इस मुश्किल समय में यदि हमारे इलाके के किसान मानसून के साथ जुआ खेलने में समर्थ हो पाए हैं तो चाइनीज डीजल इंजन पंपिंग सेटों के बूते। सरकार जिन स्‍वदेशी डीजल इंजन पंपिंग सेटों की खरीद पर अनुदान देती है, वे भारी और महंगे होते हैं और एक घंटे में एक लीटर डीजल खा जाते हैं। जबकि चाइनीज डीजल इंजन पंपिंग सेट अपेक्षाकृत सस्‍ते हैं और हल्‍के भी। इतने हल्‍के कि दो आदमी आसानी से इन्‍हें कहीं भी लेकर जा सकते हैं। सबसे बड़ी बात है कि ये आधे लीटर डीजल में ही एक घंटे चल जाते हैं। बगल के चित्र में जिस डीजल इंजन पंपिंग सेट के जरिए किसान सूखे खेतों तक पानी पहुंचाने का उद्यम कर रहे हैं, वह चाइनीज ही है।

इंटरनेट पर मैं खबर पढ़ रहा हूं कि चीन की दवा कंपनियों ने ''मेड इन इंडिया'' के लेबल के साथ नकली दवाइयां बनाकर उन्हें अफ़्रीकी देश नाइजीरिया भेजा। दो महीने पहले नाइजीरिया में ऐसी नकली दवाओं की एक बड़ी खेप पकड़ी गयी थी। कहा जा रहा है कि खुद चीनी अधिकारियों ने भी मान लिया है (कि चीनी कंपिनयां इस कांड में शामिल थीं)। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि चीन की निंदा करूं या उसे धन्‍यवाद दूं। आखिर यह भी तो सच है कि हमारे इलाके के असंख्‍य किसान चीन निर्मित डीजल इंजन पंपिंग सेटों की ताकत पर ही तो मानसून के साथ जुआ खेलने में समर्थ हो पाए हैं।

14 comments:

  1. बड़ी आफ़त है अशोक भाई!

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  2. भारतीय कृ‍षि के बारे में कहा जाता है कि वह मानसून के साथ जुआ है। यह दुर्भाग्‍य है कि आजादी के छह दशकों बाद भी इसकी इस दु:स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।

    बिलकुल सही -आश्चर्यजनक और दुखद ! कैसे उबरें हम इन परेशानियों से !

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  3. प्रशंसा और निन्दा दोनों करिए। वैसे ससुरे चीनी हैं बड़े हरामी ! भारत को मुश्किल में डालने वाली हरकतें करते ही रहते हैं।

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  4. गिरिजेश राव जी बिल्कुल सही कह रहे हैं.

    रामराम.

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  5. मीठा मीठा हप हप कडुआ कडुआ थू

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  6. Chinese are most Harami . their pump set is sold under business. use it and thank ur luck that u got it but don't forget their true character.

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  7. मुनीश भाई, आप ठीक कह रहे हैं। लेकिन यदि हरामीपन नापने का कोई पैमाना होता तो हमारे राजनीतिज्ञ शायद अव्‍वल आते। अपने देश में ही सस्‍ते कृषि उपकरण बनते तो हम विदेशी मशीनों का मुंह ताकने को विवश नहीं होते। आजादी के छह बहुमूल्‍य दशक इन्‍होंने हमें बेवकूफ बनाकर अपना उल्‍लू सीधा करने में जाया कर दिए।

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  8. अशोक पाण्डेय जी से पूर्ण सहमत… यही कुछ हथियारों की खरीदी के मामले में भी है, भले ही मिसाइल बना लें, चन्द्रमा पर जायें लेकिन एक विशेष लाबी नहीं चाहती कि देश में ही छोटे हथियारों का निर्माण हो…

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  9. इस देश में क्रषि कभी प्राथमिकताओ पर नहीं रही किसी सरकार की....हाल में ही ये सुना गया की प्रधान मंत्री कोष से धन का अधिकतर भाग दलालों द्वारा डकार लिया गया...यूँ भी किसी कृषि विद्यालय या वैजानिक ने किसानो को पानी ओर उनके खेती के नए तरीको के बारे में उस तरहसे सहायता नहीं की जितनी उनको दरकार थी..कहने को हम क्रषि प्रधान देश में है

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  10. चीन का बाज़ार पर कब्ज़ा करना अपने तरह का ही एक उपनिवेशवाद है. निंदा का मामला ज़्यादा बनता है

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  11. चीन की आसुरी औपनिवेशिक सरकार इंसानियत के नाम पर कलंक है. उनकी नकली दवाओं से दक्षिण अमेरिकी देशों में बहुत लोग पहले मर चुके हैं. अमेरिका में उनके टूथपेस्ट तक में मशीनों का तेल निकलने पर उस पर प्रतिबन्ध लगाए गए. मगर अपने घटिया, नकली और घातक माल पर दुसरे देश के नाम का ठप्पा लगाना, यह तो कमीनेपन की हद ही हो गयी.

    इस बारे में रैनबेक्सी, डॉक्टर रेड्डीज या बाबा रामदेव का कोई बयान आया क्या?

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  12. यही नहीं, चीन का मीडिया भारत के आक्रमण की बात करता है - शायद भारत को ले कर नर्वसनेस है वहां।

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अपना बहुमूल्‍य समय देने के लिए धन्‍यवाद। अपने विचारों से हमें जरूर अवगत कराएं, उनसे हमारी समझ बढ़ती है।