बिहार की एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी सहित भारत में अपनी परियोजनाओं पर काम कर रहे तीन संगठनों को वर्ष 2009 के लिए अक्षय ऊर्जा के प्रतिष्ठित ऐशडेन अवार्ड (Ashden Awards) से सम्मानित किया गया है। स्थानीय समुदायों के बीच नवीकरण योग्य ऊर्जा के क्षेत्र में इनके योगदान के लिए गुरुवार की शाम लंदन में प्रिन्स चार्ल्स ने बिहार के सारन रिन्युएबल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड और फ्रांसीसी एनजीओ जीइआरइएस (GERES) को हरेक को बीस हजार पौंड, जबकि इंटरनेशनल डेवलपमेंट इंटरप्राइजेज इंडिया (IDEI) को पंद्रह हजार पौंड के पुरस्कार प्रदान किए।
ऐशडेन पुरस्कारों को ग्लोबल ग्रीन एनर्जी अवार्ड अथवा ग्रीन ऑस्कर भी कहा जाता है।
बिहार के सारन रिन्युएबल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को प्रतिदिन 11 घंटे बिजली प्रदान करनेवाले गैसीफिकेशन संयत्र के लिए ऐशडेन रिन्यूएबल्स फॉर इकोनोमिक डेवलपमेंट अवार्ड दिया गया। स्थानीय नवीकरण योग्य स्रोतों से प्राप्त होनेवाले बायोमास से चलनेवाला यह संयत्र रह-रह कर धोखा देनेवाली ग्रिड की विद्युत आपूर्ति का एक सस्ता और टिकाउ विकल्प है। लिमिटेड कंपनी द्वारा बिहार के सारण जिले में स्थापित इस संयत्र से प्रति वर्ष 200 मेगावाट बिजली पैदा होती है, जिसे स्थानीय उद्यमियों, किसानों, अस्पताल और स्कूल को बेचा जाता है। इसके गैसीफायर प्लांट और उसमें इस्तेमाल होनेवाले जैविक ईंधन को बगल के चित्रों में देखा जा सकता है।
फ्रांसीसी स्वयंसेवी संस्था जीइआरइएस (GERES) को लद्दाख के हिमालय पर्वतीय क्षेत्र में ग्रामीणों के पोषण (nutrition) में सुधार और उनकी आमदनी में बढ़ोतरी लाने के लिए ऐशडेन अवार्ड फॉर इंप्रूव्ड न्यूट्रीशन दिया गया। संस्था ने स्थानीय संगठनों को सोलर ग्रीनहाउस के जरिए सालों भर ताजी सब्जियां उगाने में मदद की, जिससे यह उपलब्धि हासिल हो सकी।
इंटरनेशनल डेवलपमेंट इंटरप्राइजेज इंडिया (IDEI) को उसके द्वारा तैयार किए गए पांव-पंप (ट्रेडिल पंप / Treadle Pump) के लिए ऐशडेन आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। कहा जा रहा है कि इस विधि से खेतों की सिंचाई कर साढ़े सात लाख किसान अपनी गरीबी दूर भगाने में सक्षम हुए हैं। इस संगठन को 2006 में भी ऐशडेन पुरस्कार मिला था। तब से यह ड्रिप सिंचाई पद्धति के क्षेत्र में भी काम कर रहा है तथा दुनिया भर में अपने उत्पादों को बेच रहा है।
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ये तो मह्त्वपूर्ण उपलब्धी है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ओर अच्छी खबर है, लेकिन हमारी सरकार कहां सो रही है, जो इग्लेंड ओर फ़्रांस के लोग हमारी मदद कर रहे है जब की फ़ांस बिहार से भी बहुत छोटा सा देश है, हमारे यहां प्रतिभाओ की कमी नही, लेकिन क्यो हमारी सरकार को पकी पकाई खाने की आदत है...क्यो नही अपने ही देश के युवको को आगे करती, प्रोत्साहन देती....
ReplyDeleteकिसानोँ को जितनी सहायता मिले और तरक्की हो उससे जुडे हर प्रयास से हमेँ बहुत खुशी होती है
ReplyDelete- लावण्या
पेज तीन की ख़बरों से भरे अखबारों के सारे पन्ने इस खबर को कहाँ जगह दे सकते है!इसे हम तक पहुंचाने का आभार.
ReplyDeleteमैं subscribe कर रहा हूँ। एक कविता आप के इस लेख पर:
ReplyDeleteये छोटे छोटे सूरज
प्रकाश देंगें हमारी नई पीढ़ी को पढ़ने के लिए
जवान की गर्मी निखारेंगे नए सृजन के लिए
बूढ़े की लाठी बनेंगे अँधेरों में
और
हर औरत को देंगे फुरसत के कुछ पल
सहेली से बतियाने को।
ये छोटे छोटे सूरज।
ग्रेट! मैं रिटायरमेण्ट के बाद गांव में सेटल होने की सोच रहा था पर उसमें मुख्य समस्या बिजली सप्लाई की आ रही है। बिहार के सारन रिन्युएबल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के समाधान शायद मेरे लिये सोचने की नई दिशा दे सकें।
ReplyDeleteबहुत देर बाद आई पोस्ट और बहुत सुन्दर पोस्ट।
शुक्रिया अच्छी जानकारी के लिए।
ReplyDeleteयह तो बहुत ही उत्साह भरी खबर है.
ReplyDeleteऐसी खबरें जिनसे भारत का उज्जवल पक्ष भी अंतर्राष्ट्रीय level पर दिखे उन्हें मीडिया क्यों नहीं दिखता?
आभार इस सूचना के लिए.
Thiis is a great post
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