Tuesday, October 12, 2010

इंटरनेट पर हनुमान चालीसा

हान सं‍त कवि तुलसीदास रचित हनुमान चालीसा दुनिया में सबसे अधिक पढ़ी जानेवाली साहित्यिक अथवा धार्मिक रचनाओं में है। इसमें हिन्‍दुओं के आराध्‍यदेव श्रीराम के अनन्‍य भक्‍त हनुमान के गुणों एंव कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। इसमें श्री हनुमान की भावपूर्ण स्‍तुति तो है ही, श्रीराम के भी व्‍यक्तित्‍व को सरल शब्‍दों में उकेरा गया है।

हिन्‍दू धर्म के अनुयायियों में यह रचना इतनी लोकप्रिय है कि सामान्‍यत: उन्‍हें यह कंठस्‍थ होती है। असंख्‍य लोग हर दिन इसका पाठ करते हैं। अनगिनत मंदिरों की दीवारों पर पूरी की पूरी रचना संगमरमर पर उत्‍कीर्ण मिलेगी। खासकर उत्‍तर भारत के ग्रामीण जीवन में तो यह काव्‍यात्‍मक कृति गहराई तक रची-बसी है। जिन्‍होंने कभी कोई अक्षर नहीं पहचाना, उन्‍हें भी इसकी चौपाइयां याद होती हैं। जनमानस में इसे भय व क्‍लेश मिटानेवाला माना जाता है। इसीलिए परंपरागत हिन्‍दू परिवारों में जहां कहीं संकट उत्‍पन्‍न हुआ, लोग सहज भाव से इस कर्णप्रिय रचना का पाठ आरंभ कर देते हैं।

यह रचना इंटरनेट पर भी उपलब्‍ध है। इसे विकिपीडिया, कविताकोश, विकिसोर्स और वेबदुनिया पर पढ़ा जा सकता है। विकिसोर्स पर इसके मूल पाठ के साथ उसका अंगरेजी लिप्‍यांतर व अनुवाद भी दिया गया है।

हनुमान चालीसा आम लोगों में ही नहीं, संगीत बिरादरी में भी काफी लोकप्रिय है। हिन्‍दी के अनेक गायक-गायिकाओं ने इसे अपने-अपने अंदाज में गाया है। हर कलाकार के गायन की खूबियां हैं। हर गायक को सुनने का अलग आनंद है। इनमें से कुछ की गायकी यूट्यूब पर मौजूद है, जिसे संबंधित लिंक पर जाकर सुना जा सकता है : एमएस सुब्‍बुलक्ष्‍मी, हरिओम शरण, लता मंगेशकर, रवीन्‍द्र जैन, अनूप जलोटा, उदित नारायण, अलका याग्निक, जसपिन्‍दर नरुला, पुराना संस्‍करण

4 comments:

  1. सही लिखा है हनुमान चालीसा अक्सर सुनाई देता रहता है। इस लिये सिर्फ हिन्दू ही नही दूसरे धर्मो को मानने वाले भी इस की बहुत सी पंक्तियां सुना सकते हैं।

    ReplyDelete
  2. आप से सहमत हे जी धन्यवाद

    ReplyDelete
  3. आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , बधाई ......कभी हमारे ब्लॉग पर भी आए //shiva12877.blogspot.com

    ReplyDelete
  4. finding it on internet so good we should be spiritual , religous

    ReplyDelete

अपना बहुमूल्‍य समय देने के लिए धन्‍यवाद। अपने विचारों से हमें जरूर अवगत कराएं, उनसे हमारी समझ बढ़ती है।