महान संत कवि तुलसीदास रचित हनुमान चालीसा दुनिया में सबसे अधिक पढ़ी जानेवाली साहित्यिक अथवा धार्मिक रचनाओं में है। इसमें हिन्दुओं के आराध्यदेव श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान के गुणों एंव कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। इसमें श्री हनुमान की भावपूर्ण स्तुति तो है ही, श्रीराम के भी व्यक्तित्व को सरल शब्दों में उकेरा गया है।
हिन्दू धर्म के अनुयायियों में यह रचना इतनी लोकप्रिय है कि सामान्यत: उन्हें यह कंठस्थ होती है। असंख्य लोग हर दिन इसका पाठ करते हैं। अनगिनत मंदिरों की दीवारों पर पूरी की पूरी रचना संगमरमर पर उत्कीर्ण मिलेगी। खासकर उत्तर भारत के ग्रामीण जीवन में तो यह काव्यात्मक कृति गहराई तक रची-बसी है। जिन्होंने कभी कोई अक्षर नहीं पहचाना, उन्हें भी इसकी चौपाइयां याद होती हैं। जनमानस में इसे भय व क्लेश मिटानेवाला माना जाता है। इसीलिए परंपरागत हिन्दू परिवारों में जहां कहीं संकट उत्पन्न हुआ, लोग सहज भाव से इस कर्णप्रिय रचना का पाठ आरंभ कर देते हैं।
यह रचना इंटरनेट पर भी उपलब्ध है। इसे विकिपीडिया, कविताकोश, विकिसोर्स और वेबदुनिया पर पढ़ा जा सकता है। विकिसोर्स पर इसके मूल पाठ के साथ उसका अंगरेजी लिप्यांतर व अनुवाद भी दिया गया है।
हनुमान चालीसा आम लोगों में ही नहीं, संगीत बिरादरी में भी काफी लोकप्रिय है। हिन्दी के अनेक गायक-गायिकाओं ने इसे अपने-अपने अंदाज में गाया है। हर कलाकार के गायन की खूबियां हैं। हर गायक को सुनने का अलग आनंद है। इनमें से कुछ की गायकी यूट्यूब पर मौजूद है, जिसे संबंधित लिंक पर जाकर सुना जा सकता है : एमएस सुब्बुलक्ष्मी, हरिओम शरण, लता मंगेशकर, रवीन्द्र जैन, अनूप जलोटा, उदित नारायण, अलका याग्निक, जसपिन्दर नरुला, पुराना संस्करण।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
आज के समय में टीवी व रेडियो पर मौसम संबंधी जानकारी मिल जाती है। लेकिन सदियों पहले न टीवी-रेडियो थे, न सरकारी मौसम विभाग। ऐसे समय में महान कि...
-
यदि आपकी पर्यटन व तीर्थाटन में रुचि है तो आपको कैमूर पहाड़ पर मौजूद मुंडेश्वरी धाम की यात्रा एक बार अवश्य करनी चाहिए। पहाड़ की चढ़ाई, जंगल...
-
कृषि का भारत के लिए जितना महत्व है, इससे संबंधित शिक्षा और शोध पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता। लेकिन मर कर जंगलों को फायदा पहुंचानेवाले सिका...
-
आज पहली बार हमारे गांव के मैनेजर बाबू को यह दुनिया अच्छे लोगों और अच्छाइयों से भरी-पूरी लग रही है। जिन पढ़े-लिखे शहरी लोगों को वे जेठ की द...
-
किसान और आत्महत्या रचनाकार-हरीशचन्द्र पाण्डे उन्हें धर्मगुरुओं ने बताया था प्रवचनों में आत्महत्या करने वाला सीधे नर्क जाता है तब भी उन्ह...
-
उत्तरप्रदेश के एक गांव में आलू चुनते ग्रामीण (फोटो रायटर से साभार) भा रतीय वैज्ञानिकों ने आलू की ऐसी जीन संवर्धित प्रजाति को विकसित कर...
-
कृषि उत्पाद के मामले में भारत, दक्षिण एशिया का दिग्गज देश नजर आता है, लेकिन अगर पिछले आंकड़ों को देखें तो खाद्य फसलों की उत्पादनशीलता छोटे पड़...
-
आखिर हम क्यों करते हैं ब्लॉगिंग ? क्या मिलता है हमें इसमें ? कुछ लोग इसके जरिए पैसा जरूर कमाते हैं, लेकिन अधिकांश को तो एक पाई भी नहीं मि...
-
मेरे प्रिय कवि केदारनाथ अग्रवाल की एक कविता है : गांव की सड़क शहर को जाती है, शहर छोड़कर जब गांव वापस आती है तब भी गांव रहता है वही गांव, का...
सही लिखा है हनुमान चालीसा अक्सर सुनाई देता रहता है। इस लिये सिर्फ हिन्दू ही नही दूसरे धर्मो को मानने वाले भी इस की बहुत सी पंक्तियां सुना सकते हैं।
ReplyDeleteआप से सहमत हे जी धन्यवाद
ReplyDeleteआज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , बधाई ......कभी हमारे ब्लॉग पर भी आए //shiva12877.blogspot.com
ReplyDeletefinding it on internet so good we should be spiritual , religous
ReplyDelete