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11 अप्रैल को हिन्दी के प्रख्यात कथाशिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की पुण्यतिथि थी। उस दिन चाहता था कि उनकी स्मृति से जुड़ी कुछ बातें खेती-...
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मेरे प्रिय कवि केदारनाथ अग्रवाल की एक कविता है : गांव की सड़क शहर को जाती है, शहर छोड़कर जब गांव वापस आती है तब भी गांव रहता है वही गांव, का...
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इस शीर्षक में तल्खी है, इस बात से हमें इंकार नहीं। लेकिन जीएम फसलों की वजह से क्षुब्ध किसानों को तसल्ली देने के लिए इससे बेहतर शब्दावली ...
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भाषा का न सांप्रदायिक आधार होता है, न ही वह शास्त्रीयता के बंधन को मानती है। अपने इस सहज रूप में उसकी संप्रेषणयीता और सौन्दर्य को देखना हो...
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भूगर्भीय और भूतल जल के दिन-प्रतिदिन गहराते संकट के मूल में हमारी सरकार की एकांगी नीतियां मुख्य रूप से हैं. देश की आजादी के बाद बड़े बांधों,...
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लैटिन अमरीकी देश मेक्सिको में जेनेटिकली मॉडीफाइड (जीएम) मक्के की खेती ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है। एक ओर वहां की सरकार इसकी परीक्षण खेती की अ...
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सुअर जैसा बदनसीब प्राणी शायद ही किसी को माना जाता हो, लेकिन उस सुअर को क्या कहें जो अपने देश में अकेला है और अब उसे अन्य जानवरों से भी अलग...
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सुअरों की बात चले और ऐनिमल फार्म याद न आए, ऐसा हो नहीं सकता। बीसवीं सदी के महान अंग्रेज उपन्यासकार जॉर्ज ऑरवेल ने अपनी इस कालजयी कृति में...
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जब देश के अन्य भागों में अपने किसान भाइयों की आत्महत्या की घटनाएं पढ़ता-सुनता हूं तो अक्सर सोचता हूं कि कौन-सी ताकत है जो बिहार व उत्त...
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