‘गुड़ गोबर होना’ तो सुना जाता है, लेकिन गोबर सोना हो जाए तो फिर क्या कहना। और सच्ची बात तो यह है कि दुनिया में कुछ लगनशील लोग गोबर को सोना बनाने के बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं। सोने में सुहागे वाली बात है कि उन लोगों में मशहूर आईटी कंपनी एचपी भी शामिल है।
अमेरिका के एरिजोना प्रांत के फीनिक्स नगर में इस साल मई माह में टिकाऊ ऊर्जा पर हुए अमेरिकन सोसाइटी ऑफ मेकेनिकल इंजीनियर्स के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में एचपी ने एक शोधपत्र के जरिए दर्शाया कि गाय के गोबर से डेटा सेंटर चलाए जा सकते हैं। इस शोध के मुताबिक दस हजार गायों वाले डेयरी फार्म से हर साल करीब दो लाख मीट्रिक टन गोबर का खाद तैयार होता है। इस क्रम में एक मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकता है। इससे मझोले आकार वाले एक डेटा सेंटर की ऊर्जा संबंधी जरूरतें तो पूरी होंगी ही, अतिरिक्त ऊर्जा से खुद डेयरी फार्म का काम भी चल जाएगा।
शोध से जाहिर है कि डेयरी फार्म और डेटा सेंटर एक-दूसरे के बहुत अच्छे पूरक साबित हो सकते हैं। जब गोबर सड़कर खाद बनता है तो बड़ी मात्रा में मीथेन नामक ग्रीनहाउस गैस निकलता है, जो पर्यावरण के लिए कार्बन डाई आक्साईड से भी अधिक नुकसानदेह होता है। उधर आधुनिक डेटा सेंटरों को काफी मात्रा में ऊर्जा की जरूरत होती है। यदि डेयरी फार्म के मीथेन गैस से ऊर्जा तैयार की जाए, तो पर्यावरण सुरक्षित रहेगा ही, डेटा सेंटर केलिए टिकाऊ ऊर्जा भी उपलब्ध हो जाएगी।
वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत के रूप में गोबर का उपयोग नयी बात नहीं है। हमारे गांवों में कहीं-कहीं छोटे गोबर गैस संयत्र मिल जाएंगे, जिनसे खेतों के लिए खाद मिल जाता है और घर का अंधेरा दूर करने के लिए बिजली। लेकिन एक सुस्पष्ट नीति के तहत इसे बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है। जब एचपी गोबर से डेटा सेंटर चलाने की पहल कर सकती है, तो हम इससे गांवों का अंधेरा दूर करने के बारे में क्यों नहीं सोच सकते। यदि ऐसा हो, तो गोबर सोना ही बन जाएगा। तब हमारे यहां अधिक दूध होगा, अधिक जैविक खाद होंगे, अधिक बिजली होगी, और हम ओजोन परत को भी कम नुकसान पहुंचाएंगे।
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ये तो आपने कमाल की खबर बताई....शायद ऎसा होने से ही ग्रामीण समाज का कुछ सुधार हो जाए..
ReplyDeleteसही कहा आप ने, अगर घर मे दो गाय या भेंस भी हो तो हम अपनी रोजाना की जरुरत के लिये प्रयाप्त मात्रा मै गेस को बिजली पेदा कर सकते है, ओर बाद मै इसे खाद के रुप मैभी ले सकते है, इन जानवरो के गोबर ओर मुत्र से यह चमत्कार हो सकता है, इद सुंदर जानकारी के लिये आप का धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत साल पहले वैकल्पिक ऊर्जा के तहत गोबर गैस प्लांट पर बहुत जोर था . लेकिन भ्रष्ट्राचार की भेट चढ गई यह योजना .
ReplyDeleteयडि व्यावसियक तौर पर यह कार्य हो तभी भारत मे सफ़ल हो सकता है . प्लांट के लिये गोबर किसान से लिया जाये उसके बदले उन्हे जो इअसकी खाद बचती है वह दी जाये तो उससे पशु पालन भी बडेगा और ओर्गेनिक खेती भी होगी
बहुत बढिया जानकारी दी आपने.
ReplyDeleteरामराम
का चुप साधि रहा बलवाना। काहे नहीं भारत सरकार घोषणा करती कि 1000 मेगावाट गोबर से आयेगी।
ReplyDeleteKya baat hai! Waah! Aakhir, manushya ko jadon ko tatolne per hi naye samadhaan milte hain... Kaafi gauravpoorna samachaar hai. Dhanyavaad, Pandey ji! :-)
ReplyDeleteजानकारी के लिये आप का धन्यवाद
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