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आज पहली बार हमारे गांव के मैनेजर बाबू को यह दुनिया अच्छे लोगों और अच्छाइयों से भरी-पूरी लग रही है। जिन पढ़े-लिखे शहरी लोगों को वे जेठ की द...
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हमारे गांवों में एक कहावत है, 'जिसकी खेती, उसकी मति।' हालांकि हमारे कृषि वैज्ञानिक व पदाधिकारी शायद ऐसा नहीं सोचते। किसान कोई गलत कृ...
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आज के समय में टीवी व रेडियो पर मौसम संबंधी जानकारी मिल जाती है। लेकिन सदियों पहले न टीवी-रेडियो थे, न सरकारी मौसम विभाग। ऐसे समय में महान कि...
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आज से करीब साल भर पहले जब खेती-बाड़ी ब्लॉग शुरू किया गया, भारत में अंतरजाल पर किसान पाठक नहीं के बराबर थे। अभी भी गिने-चुने ही हैं। लेकिन ...
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कृषि उत्पाद के मामले में भारत, दक्षिण एशिया का दिग्गज देश नजर आता है, लेकिन अगर पिछले आंकड़ों को देखें तो खाद्य फसलों की उत्पादनशीलता छोटे पड़...
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यदि आपकी पर्यटन व तीर्थाटन में रुचि है तो आपको कैमूर पहाड़ पर मौजूद मुंडेश्वरी धाम की यात्रा एक बार अवश्य करनी चाहिए। पहाड़ की चढ़ाई, जंगल...
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वेदों का चर्खा चला, सदियां गुजरीं। लोग-बाग बसने लगे। फिर भी चलते रहे। गुफाओं से घर उठाये। उंचे से नीचे उतरे। भेड़ों से गायें रखीं। जंगल से ब...
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भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि अगले तीन सालों के अंदर देश में जीन संवर्धित टमाटर, बैगन और फूलगोभी की ख...
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कृषि विज्ञान के क्षेत्र में ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जिसे खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से हरित क्रांति के बाद सबसे अहम मान...
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बकरियों से चरवाकर जमीन में उग आयी घास की सफाई कराने का गूगल का प्रयोग पश्चिमी दुनिया के लिए भले ही कौतूहल की बात हो, लेकिन भारतीय किसानों के...
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