18 मई, 2008 को जब मैंने अपनी पहली पोस्ट लिखी थी, उस समय मैं ब्लॉगजगत के लिए अजनबी था। न कोई दोस्त, न कोई परिचित। किसी नए ब्लॉगर के इष्ट मित्रों द्वारा लिखित उसके स्वागत वाली पोस्टें पढ़ता तो सोचता- ''काश, यहां मेरा भी कोई करीबी होता।''
लेकिन इन साढ़े तीन महीनों में ब्लॉगजगत के लोगों से इतना स्नेह और प्रोत्साहन मिला कि एकाकीपन कब और कहां चला गया पता ही नहीं चला। आज पूरा हिन्दी ब्लॉगजगत परिवार सा लगता है, और मैं अपने को सौभाग्यशाली समझता हूं कि मैं इस परिवार का सदस्य हूं।
साथी चिट्ठाकारों के प्रोत्साहन की ताजा कड़ी कई महत्वपूर्ण चिट्ठों का लेखन कर रही लोकप्रिय चिट्ठाकार रंजना भाटिया जी द्वारा मेरे चिट्ठे खेती-बाड़ी की हिन्दी मीडिया पर समीक्षा है। इसे इस लिंक पर जाकर देखा जा सकता है। रंजना जी ने इस देहाती किसान के ब्लॉग को इस लायक समझा, उनका हार्दिक आभार।
इसके साथ ही मैं तस्लीम के महामंत्री जाकिर अली 'रजनीश' जी को भी धन्यवाद देता हूं जिन्होंने विज्ञान ब्लॉग चर्चा के तहत आज अपनी पोस्ट में खेती-बाड़ी को भी इज्जत बख्शी है।
एक विनम्र निवेदन : कोसी नदी की प्रलयंकारी बाढ़ से बिहार के कम-से-कम 8 जिलों के 417 से भी अधिक गांवों के करीब 40 लाख लोग बेघर और दाने-दाने के मोहताज हो गए हैं। हो सकता है, इनमें से कुछ अपनी रोजी-रोटी के लिए थोड़े समय के लिए आपके-हमारे शहर-गांव में भी शरण लें। हमारी थोड़ी सी संवेदना व समझदारी इनके जीवन-संघर्ष को कुछ आसान बना सकती है।
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अशोक जी आप खेती बाड़ी विशेषज्ञ के अलावा एक संवेदन शील इंसान भी हैं...आप की पोस्ट नियमित पढता हूँ लेकिन कमेन्ट नहीं कर पाता...आप ब्लॉग जगत के प्रिय ब्लोगर हैं...
ReplyDeleteनीरज
हम सब आपके साथ हैं .ख़ुद को कभी अकेला न समझें .पढ़ते हमेसा हैं आपको कभी टिप्पणिया न दे पायें तो भी.
ReplyDelete------------------------------------------
एक अपील - प्रकृति से छेड़छाड़ हर हालात में बुरी होती है.इसके दोहन की कीमत हमें चुकानी पड़ेगी,आज जरुरत है वापस उसकी ओर जाने की.
ap je maine ki sabhi aapke sath hai...jin logo ke aapne naam likhe hai...in sabhi ne mujhe bhi apna sahjoog diya hai...
ReplyDeleteअशोक जी हम आपके साथ है .आपका लिखा हमेशा अच्छा लगा है ..यह आने वाले समय के लिए बहुत अच्छा साबित होगा .|
ReplyDeleteप्रसन्नता हुई अशोक; आगे बहुत सी सफलतायें हैं आपके!
ReplyDeleteअच्छा लिखा है। सस्नेह
ReplyDeleteखेती बाडी के साथ पत्रकारिता और इतना सुंदर
ReplyDeleteलेखन ! कम ही लोग कर पाते हैं !
बिहार की त्रासदी बहुत भयानक है ! आप वहा
नजदीक से ज्यादा महसूस कर पा रहे है ! इन
प्राकृतिक आपदाओं में इंसान का हाथ बहुत
सिमीत ही रहता है ! पर जो बेघरबार हुए हैं
उनकी समुचित मदद हर आदमी अपने अपने
स्तर पर करे यह जरुरी है ! वैसे हम भारतीय
हैं ! अवश्य इस आपदा से पार पा लेंगे ! सभी
जगह मदद की व्यवस्था में तेजी आ जाए ! यही
उम्मीद है ! आपने अपने ब्लॉग की चर्चा में
भी बिहार त्रासदी को नही भुलाया यह आपकी
संवेदनशील मानसिकता है ! वरना कौन याद
रखता है ? जब आपके ब्लॉग को दूसरी जगह
सराहा जा रहा हो ? धन्यवाद आपका !
आपके लेखन को तिवारी साहब का सलाम !
ReplyDeleteभूतनाथ आपके लेखन से प्रभावित हैं !आपको
ReplyDeleteशुभकामनाए ! बिहार की बाढ़ में बेघरबार हुए
लोगो के प्रति आपकी संवेदनाए वाजिब है !
ईश्वर सबका भला करे !
"इस देहाती किसान के ब्लॉग को इस लायक समझा"
ReplyDeleteअशोकजी हमारा सौभाग्य है की आपका ब्लॉग पढ़ते हैं. और जगह तक देहाती किसान होने की बात है तो वो शहरी बाबुओं के माँ की तरह है... वहीं से सब आए हैं. ये बात अलग है की माँ को अक्सर लोग भूल जाते हैं.
बधाई और शुभकामनायें... लिखते रहिये.
अशोक जी आप का बंलाग बहुत देर से खुलता हे , फ़िर टिपण्णी देने मे भी दिक्कत आती हे पता नही मेरे यहां ही ऎसा हे या सब के साथ
ReplyDeleteआप का लेख बहुत प्यारा ओर अच्छा हे, ओर हम सब आप के साथ हे
धन्यवाद
बहुत बहुत बधाई और आप अच्छी जानकारी दे रहे हैं, आजकल विषयपरक चिट्ठे बहुत कम हैं। बस ऐसे ही लगे रहिये।
ReplyDeleteपाण्डेय जी, आपको बहुत बहुत बधाई. आपके खेत में सिर्फ़ खेती नहीं है, सच्चा भारत है - विनम्र, क्षमाशील एवं दाता!
ReplyDeleteमैं इसे नियमित पढता हूँ.
आप सदैव ही अपने विषय से न्याय करते रहे हैं
ReplyDeleteटिप्पणियां कम-ज्यादा होने से आलेख का महत्व कम नहीं होता भाई
बधाई। खेती व किसान हमारी रीढ़ हैं। अन्नदाता हैं।
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