Wednesday, October 8, 2008
मर कर जंगल को आबाद करनेवाले कीट सिकाडा
कृषि का भारत के लिए जितना महत्व है, इससे संबंधित शिक्षा और शोध पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता। लेकिन मर कर जंगलों को फायदा पहुंचानेवाले सिकाडा (Cicada) जैसे कीटों के बारे में यहां भी शोध हो तो निश्चित तौर पर यह पर्यावरण खासकर कृषि व बागवानी के लिए लाभप्रद साबित हो सकता है।
आम तौर पर कीट फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, और इसलिए उन्हें शत्रु समझा जाता है। लेकिन कुछ मित्रकीट भी होते हैं, जो जीवनकाल में या मरणोपरांत पौधों को फायदा ही पहुंचाते हैं। सिकाडा के बारे में अभी तक जो जानकारी उपलब्ध है, उसके आधार पर इसे फायदा पहुंचानेवाला कीट ही माना जा रहा है।
अमरीका के उत्तरी हिस्से में सिकाडा कीट भारी संख्या में पाए जाते हैं। ये कीट अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा पेड़ों की जड़ों में बिताते हैं जहां वह जाइलम पर निर्भर होते हैं। जब ये बड़े होते हैं तो एक साथ लाखों की संख्या में प्रजनन के लिए बाहर आते हैं। ये कीट हर 13 से 17 वर्ष में ज़मीन के नीचे से बाहर निकलते हैं और प्रजनन करते हैं। चूंकि इन कीटों की संख्या लाखों में होती है इसलिए कई कीट मरते भी हैं।
सिकाडा प्रजनन के दौरान भारी शोर मचाते हैं। इन कीटों के प्रजनन का समय कुछ हफ्तों का ही होता है। इनकी संख्या प्रति वर्ग मीटर में 350 तक हो सकती है। कुछ जानवर इन कीटों को खाते भी हैं। लेकिन अधिकांश कीट मर कर मिट्टी में मिल जाते हैं। इन कीटों के शरीर के सड़ने से मिट्टी में बैक्टीरिया. फफूंद और नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है। यही कारण है कि जिन इलाक़ों में ये कीट मरते हैं, वहां के पेड़ ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं।
ये बातें अमरीकी वैज्ञानिकों के शोध में सामने आयी हैं। कुछ वर्षों पूर्व उनका ध्यान इस बात की ओर गया कि उत्तर अमरीका के जंगलों में ख़ास किस्म के ये कीड़े लाखों की संख्या में मर रहे हैं, जिससे जंगलों को काफी फायदा हो रहा है। वैज्ञानिकों के शोध में यह बात सामने आयी कि कीटों के मिट्टी में मिलने से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है। नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ने से पेड़ों को तेजी से बढ़ने में मदद मिलती है। उनके मुताबिक ये कीट वास्तव में वही नाइट्रोजन छोड़ते हैं जो ये अपने पूरे जीवन में पेड़ों की जड़ों से एकत्र करते हैं।
सिकाडा झींगुरों की तरह काफी शोर करते हैं, लेकिन ये झींगुर (Cricket) से भिन्न हैं। इसी तरह से ये फतिंगा या टिट्डी (Locust, Grasshopper) से भी भिन्न हैं। फादर कामिल बुल्के के अंगरेजी-हिन्दी शब्दकोश में सिकाडा के हिन्दी समतुल्य रइयां, चिश्चिर बताए गए हैं। किन्हीं मित्रों को भारतीय संदर्भ में सिकाडा के बारे में अतिरिक्त जानकारी हो तो वे अवश्य दें, इसके लिए हम उनके आभारी रहेंगे।
(इस आलेख की प्रेरणा इस विषय पर लावण्या जी की रोचक व ज्ञानवर्धक ब्लॉगपोस्ट से मिली, उनका हार्दिक आभार। खेती-बाड़ी में इस दोहराव का उद्देश्य भारतीय संदर्भ में सिकाडा के बारे में जानकारी एकत्र करना और उसका प्रसार है। आलेख के चित्र व संदर्भ बीबीसी हिन्दी और विकिपीडिया से लिए गए हैं।)
Subscribe to:
Posts (Atom)
-
भाषा का न सांप्रदायिक आधार होता है, न ही वह शास्त्रीयता के बंधन को मानती है। अपने इस सहज रूप में उसकी संप्रेषणयीता और सौन्दर्य को देखना हो...
-
आज पहली बार हमारे गांव के मैनेजर बाबू को यह दुनिया अच्छे लोगों और अच्छाइयों से भरी-पूरी लग रही है। जिन पढ़े-लिखे शहरी लोगों को वे जेठ की द...
-
आज के समय में टीवी व रेडियो पर मौसम संबंधी जानकारी मिल जाती है। लेकिन सदियों पहले न टीवी-रेडियो थे, न सरकारी मौसम विभाग। ऐसे समय में महान कि...
-
इस शीर्षक में तल्खी है, इस बात से हमें इंकार नहीं। लेकिन जीएम फसलों की वजह से क्षुब्ध किसानों को तसल्ली देने के लिए इससे बेहतर शब्दावली ...
-
भूगर्भीय और भूतल जल के दिन-प्रतिदिन गहराते संकट के मूल में हमारी सरकार की एकांगी नीतियां मुख्य रूप से हैं. देश की आजादी के बाद बड़े बांधों,...
-
पिछले आलेख में मुंडेश्वरी मंदिर के बारे में सामान्य जानकारी दी गयी थी, लेकिन आज हम विशेष रूप से उन पुरातात्विक साक्ष्यों के बारे में बात...