Thursday, September 3, 2009
पेप्सी के कैन में मेढक, अमेरिकी प्रशासन की रिपोर्ट में कहा गया
अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत स्थित ओरमोंड बीच में रहनेवाला फ्रेड डीनेग्री हमेशा की तरह गत 23 जुलाई को पेप्सी कैन खोलकर पीने लगा तो उसे स्वाद कुछ अजीब-सा लगा। जब फ्रेड और उसकी पत्नी एमी डीनेग्री ने कैन के अंदर पड़ी चीज को देखा तो वे दंग रह गए। अंदर किसी जीव का अवशेष था जो इतना खराब हो चुका था कि पहचान में आना मुश्किल था। दंपति ने कैमरा से उसके फोटो लिए और अमेरिका के फुड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को खबर की। एफडीए की जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि पेप्सी कैन में पड़ा जीव-अवशेष मेढक था। पूरी खबर यहां जाकर पढ़ी जा सकती है, लेकिन आगे से इस बात का ध्यान तो रखना ही होगा कि चमकनेवाली चीज सोना ही नहीं होती।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
भाषा का न सांप्रदायिक आधार होता है, न ही वह शास्त्रीयता के बंधन को मानती है। अपने इस सहज रूप में उसकी संप्रेषणयीता और सौन्दर्य को देखना हो...
-
भूगर्भीय और भूतल जल के दिन-प्रतिदिन गहराते संकट के मूल में हमारी सरकार की एकांगी नीतियां मुख्य रूप से हैं. देश की आजादी के बाद बड़े बांधों,...
-
इस शीर्षक में तल्खी है, इस बात से हमें इंकार नहीं। लेकिन जीएम फसलों की वजह से क्षुब्ध किसानों को तसल्ली देने के लिए इससे बेहतर शब्दावली ...
-
आज हम आपसे हिन्दी के विषय में बातचीत करना चाहते हैं। हो सकता है, हमारे कुछ मित्रों को लगे कि किसान को खेती-बाड़ी की चिंता करनी चाहिए। वह हि...
-
सिर्फ पूंजी पर ही नजर रखना और समाज की अनदेखी करना नैतिकता के लिहाज से गलत है ही, यह गलत अर्थनीति भी है। करीब एक दशक पहले जब देश में आर्थिक स...
-
बिहार की एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी सहित भारत में अपनी परियोजनाओं पर काम कर रहे तीन संगठनों को वर्ष 2009 के लिए अक्षय ऊर्जा के प्रतिष्ठित ऐशड...
-
आज के समय में टीवी व रेडियो पर मौसम संबंधी जानकारी मिल जाती है। लेकिन सदियों पहले न टीवी-रेडियो थे, न सरकारी मौसम विभाग। ऐसे समय में महान कि...
-
11 अप्रैल को हिन्दी के प्रख्यात कथाशिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की पुण्यतिथि थी। उस दिन चाहता था कि उनकी स्मृति से जुड़ी कुछ बातें खेती-...
-
हमारे गांवों में एक कहावत है, 'जिसकी खेती, उसकी मति।' हालांकि हमारे कृषि वैज्ञानिक व पदाधिकारी शायद ऐसा नहीं सोचते। किसान कोई गलत कृ...
जब यह हाल अमेरिका में है तो भारतीय पेप्सी का तो भगवान ही मालिक है । जानकारी का आभार ।
ReplyDeleteऐसे पेय उत्पादों का यह हाल होगा......। किसी ने सोचा भी न होगा । सचेतक रही आप की पोस्ट । आभार ।
ReplyDeleteअरे बाप रे..... मुझे तो उलटी आने को हो रही है, पता नही कितनी पेप्पसी मेरे अंदर होगी, लेकिन पिछले दस साल से मेने इन्हे छोड रखा है.
ReplyDeleteधन्यवाद
शुक्र है मेंढक ही था,कोई साँप बिच्छु नहीं!!
ReplyDeleteउह!
ReplyDeleteआप क्या समझते हैं कि सिर्फ आप ही पेप्सी पसंद करते हैं।
ReplyDeleteह ह हा।
( Treasurer-S. T. )
हे भगवान ! अब क्या होगा?
ReplyDeleteरामराम.
अपने यहाँ भी कई बार गुटके के पैकेट और कुछ चीजें मिल चुकी है. लेकिन अमेरिका में हुआ इसलिए इतनी बड़ी खबर बन गयी. ये खबर भी देखिये: http://in.rediff.com/money/2006/apr/26cola.htm
ReplyDeleteक्या? मेंढ़क के लिये पेप्सी खरीदनी होती है वहाँ? अपने यहाँ तो पीने के पानी में ऐसे प्राणियों के अवशेष मुफ़्त में सप्लाई होते हैं.
ReplyDeleteab kyaa karein
ReplyDelete