Friday, October 3, 2014
Wednesday, October 1, 2014
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आज पहली बार हमारे गांव के मैनेजर बाबू को यह दुनिया अच्छे लोगों और अच्छाइयों से भरी-पूरी लग रही है। जिन पढ़े-लिखे शहरी लोगों को वे जेठ की द...
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आज हम आपसे हिन्दी के विषय में बातचीत करना चाहते हैं। हो सकता है, हमारे कुछ मित्रों को लगे कि किसान को खेती-बाड़ी की चिंता करनी चाहिए। वह हि...
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प्रा चीन यूनान के शासक सिकंदर (Alexander) को विश्व विजेता कहा जाता है। लेकिन क्या आप सिकंदर के गुरु को जानते हैं? सिकंदर के गुरु अरस्तु (Ari...
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आज के समय में टीवी व रेडियो पर मौसम संबंधी जानकारी मिल जाती है। लेकिन सदियों पहले न टीवी-रेडियो थे, न सरकारी मौसम विभाग। ऐसे समय में महान कि...
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ऐसे दौर में जब लोग निजी लाभ के लिए रचना करते हैं, गोरख पाण्डेय ने जनहित के लिए लिखा। उन्होंने जनता की जिजीविषा बनाये रखने के लिए उसकी ही ज...
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एक बच्चे को देखकर ही तबियत खुश हो जाती है, जुड़वां बच्चे हों तो क्या कहने। लेकिन यदि जुड़वां बच्चों की गोद में भी जुड़वां बच्चे ही बैठे...
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आदरणीय मित्रों, इस चिट्ठे खेती-बाड़ी की चर्चा हिन्दुस्तान दैनिक में हुई है। इसे अग्रलिखित लिंक क्लिक कर हिन्दुस्तान के पटना से प्रका...
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भाषा का न सांप्रदायिक आधार होता है, न ही वह शास्त्रीयता के बंधन को मानती है। अपने इस सहज रूप में उसकी संप्रेषणयीता और सौन्दर्य को देखना हो...
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मीडिया में पिछले दिनों प्रोफेसर विजय भोसेकर की खबर आयी थी, जिसे शायद आपने देखा हो। गोल्ड मेडल से सम्मानित भारत का यह कृषि वैज्ञानिक इन दिन...