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Friday, May 1, 2009

ब्रिटेन की महारानी को सात लाख डॉलर की कृषि सब्सिडी मिली

भारतीय किसानों को सब्सिडी के नाम पर देश के अंदर और बाहर भवें तनने लगती हैं। हाल ही में अमेरिकी कपास उद्योग के केन्‍द्रीय संगठन नेशनल कॉटन काउंसिल ने भारतीय कपास सब्सिडी को विश्‍व व्‍यापार संगठन के नियमों का उल्‍लंघन करार देते हुए अमेरिकी प्रशासन की मदद मांगी थी। लेकिन सच्‍चाई यह है कि जहां भारत में किसान-हित की जुबानी जमापूंजी से काम चलाया जाता है, वहीं अमेरिका और यूरोप में किसानों और कृषि व्‍यवसाय को अरबों डॉलर की सब्सिडी प्रदान की जाती है।

इस संदर्भ में ताजा खबर ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से संबंधित है। यूरोपीय संघ द्वारा उन्‍हें वर्ष 2008 में करीब सात लाख डॉलर की कृषि सब्सिडी दी गयी। यूनाइटेड किंग्‍डम के पर्यावरण, खाद्य व ग्रामीण मामलों के विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक महारानी को उनके सैंडरिंघम फार्म के लिए 473583.31 पौंड (लगभग 700000 डॉलर या 530000 यूरो) की सब्सिडी मिली। उधर महारानी के ज्‍येष्‍ठ पुत्र प्रिंस चार्ल्स को कुल 181485.54 पौंड की राशि कृषि सब्सिडी के रूप में मिली।

संडे टाइम्‍स की सूची के अनुसार ब्रिटेन के सर्वाधिक अमीर आदमियों में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का स्‍थाना 214-वां है। उनके पास 27 करोड़ पौंड की संपत्ति है। हालांकि ऐसा नहीं है कि यूरोपीय संघ द्वारा दी जा रही सब्सिडी का सबसे ज्यादा फायदा ब्रिटेन की महारानी को ही मिला हो। खाद्य उत्‍पादों की मशहूर कंपनी नेस्ले को सब्सिडी के रूप में 1018459.69 पौंड की राशि मिली, जबकि टेट एंड लायले को 965796.78 पौंड की राशि दी गयी। ब्रिटेन के तीसरे सबसे अमीर आदमी वेस्‍टमिंस्‍टर के ड्यूक को 486534.15 पौंड की राशि बतौर कृषि सब्सिडी मिली।

उल्‍लेखनीय है कि यूरोपीय संघ अपने कुल बजट का करीब 40 फीसदी हिस्‍सा साझा कृषि नीति (CAP – Common Agricultural Policy) के तहत कृषि सब्सिडी में खर्च करता है। यह सब्सिडी इसलिए दी जाती है ताकि खाद्यान्‍न उत्‍पादन में कमी न हो, पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे और पशुपालन होता रहे।

यूनाइटेड किंग्‍डम के पर्यावरण, खाद्य व ग्रामीण मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार यूरोपीय संघ ने वर्ष 2008 में समूचे ब्रिटेन में बतौर कृषि सब्सिडी 2.67 अरब पौंड की राशि वितरित की।