tag:blogger.com,1999:blog-3028832467418205910.post3688300221431816866..comments2024-03-09T22:25:13.444-08:00Comments on खेती-बाड़ी: महाकवि निराला की कविता : चर्खा चलाAshok Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-3028832467418205910.post-13161987318720854992008-08-23T18:05:00.000-07:002008-08-23T18:05:00.000-07:00ये रामपुरिया जी सही कह रहे हैं।ये रामपुरिया जी सही कह रहे हैं।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3028832467418205910.post-7223776277768068882008-08-22T05:15:00.000-07:002008-08-22T05:15:00.000-07:00अशोक जी हम तो सीधे साधे देहाती आदमी सें !ये.. वो.....अशोक जी हम तो सीधे साधे देहाती आदमी सें !<BR/>ये.. वो... अपने पल्ले पड़ती कोनी ! अपणे पल्ले तो <B>आदरणीय निराला जी</B> की कविता पड़ी ! आपको जितना भी धन्यवाद देवे वो कम है ! भई आप तो ऐसे ही पढ़वाते रहो ! बहुत बहुत धन्यवाद !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3028832467418205910.post-89043360725782596042008-08-21T16:47:00.000-07:002008-08-21T16:47:00.000-07:00बहुत सुंदर कविता है और बहुत उपयुक्त भी - सभ्यता का...बहुत सुंदर कविता है और बहुत उपयुक्त भी - सभ्यता का विकास विशेषकर भारतीय परिवेश में. निराला जी की बात ही कुछ और है. धन्यवाद.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3028832467418205910.post-13909920607705581062008-08-21T05:34:00.000-07:002008-08-21T05:34:00.000-07:00हल को बलदेव ने हथियार बनाया,कन्धे पर डाले फिरे।खे...हल को बलदेव ने हथियार बनाया,<BR/>कन्धे पर डाले फिरे।<BR/>खेती हरी-भरी हुई।<BR/>यहां तक पहुंचते अभी दुनियां को देर है।<BR/>बहुत सुन्दर लिखा है। बधाईशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3028832467418205910.post-88856489419131817832008-08-21T00:15:00.000-07:002008-08-21T00:15:00.000-07:00कुश भाई, कविता सबके लिए लिखी गयी है :) वर्षा जी ने...कुश भाई, कविता सबके लिए लिखी गयी है :) वर्षा जी ने अपनी टिप्पणी में ठीक कहा है कि महाकवि निराला की इस कविता में सदियों की चढ़ाई भी है और सुविधाओं की ढलान भी। <BR/><BR/>मैं ब्लॉगलेखन भी सबसे लिए करता हूं। यदि सिर्फ किसानों के लिए लिखने लगूं तो ब्लॉगजगत में ढूंढने पर भी किसान नहीं मिलेंगे :) मेरी कोशिश रहती है कि किसान की अनूभूति आप सबसे साझा कर सकूं।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3028832467418205910.post-27201866847982708932008-08-20T19:54:00.000-07:002008-08-20T19:54:00.000-07:00कविता वाकई बहुत बढ़िया रही.. किसानो के लिए लिखी गय...कविता वाकई बहुत बढ़िया रही.. किसानो के लिए लिखी गयी है तो ब्लॉग पर प्रकाशित करने में कोई हानि नही.. पर फिर भी सुधि पाठको का ख्याल तो रखा जाना ही चाहिए.. हालाँकि मुझे इस पर कोई आपत्ति नही हैकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3028832467418205910.post-26174699755920767862008-08-20T15:07:00.000-07:002008-08-20T15:07:00.000-07:00धन्यवाद, बहुत दिनो बाद निराला जी की याद दिला दी,धन...धन्यवाद, बहुत दिनो बाद निराला जी की याद दिला दी,धन्यवाद इस सुन्दर कविता के लियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3028832467418205910.post-34884545920154272202008-08-20T11:42:00.000-07:002008-08-20T11:42:00.000-07:00इस एक कविता में सदियों की चढ़ाई भी है और सुविधाओं ...इस एक कविता में सदियों की चढ़ाई भी है और सुविधाओं की ढलान भी। अब तो खेतों में भी रोबोट पैदा होंगे, ऐसा लगता है।वर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3028832467418205910.post-33732443084901766142008-08-20T11:07:00.000-07:002008-08-20T11:07:00.000-07:00निराला की हर कविता निराली ही होती है.. अच्छी प्रस्...निराला की हर कविता निराली ही होती है.. अच्छी प्रस्तुति.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3028832467418205910.post-52677392705279283962008-08-20T10:58:00.000-07:002008-08-20T10:58:00.000-07:00भाई विजय गौड़ जी, मार्गदर्शन के लिए आभार। इस मामले...भाई विजय गौड़ जी, मार्गदर्शन के लिए आभार। इस मामले में मेरी राय भी आपसे भिन्न नहीं है। आप गौर से देखेंगे तो पायेंगे कि मैं अपने ब्लॉग में जो पुस्तक अंश, कविता आदि प्रस्तुत कर रहा हूं, उनका कहीं न कहीं धरती, कृषि और किसानों से संबंध है। मैंने आपकी बात का बिल्कुल ही अन्यथा नहीं लिया। मेरे प्रति आपका स्नेह है तभी तो संवाद कर रहे हैं।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3028832467418205910.post-56220707554515025922008-08-20T10:46:00.000-07:002008-08-20T10:46:00.000-07:00अशोक जी अन्यथा न लें, आपके ब्लाग की जो विशेषता है ...अशोक जी अन्यथा न लें, आपके ब्लाग की जो विशेषता है उसे यदि बरकरार रखें तो वह ठीक रहेगा। फ़िलहाल कविता पर इसीलिए कुछ नहीं कह रहा हूं। यदि आपका ब्लाग अपने विषय की विशिष्टता के लिए जाना जाए तो यह एक महत्वपूर्ण काम होगा, मित्र।विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3028832467418205910.post-72392327139544619052008-08-20T10:33:00.000-07:002008-08-20T10:33:00.000-07:00waah...maine yah pahale nahi padi par ab lag raha ...waah...maine yah pahale nahi padi par ab lag raha hai,kyon nahi padhi thi?<BR/><BR/>aabharL.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3028832467418205910.post-11860628101113897592008-08-20T10:17:00.000-07:002008-08-20T10:17:00.000-07:00आनन्द आ गया.आभार इस प्रस्तुति के लिए.आनन्द आ गया.आभार इस प्रस्तुति के लिए.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com