Saturday, April 3, 2010

लोकसभाध्‍यक्ष की सांसद निधि की सड़क का यह हाल हो तो जनता क्‍या करे?

लोकसभाध्‍यक्ष। यानी वह शख्सियत जो देश का भाग्‍य व भविष्‍य निर्धारित करनेवाले सदन की सबसे ऊंची कुर्सी पर विराजमान है। लेकिन जब उसी की सांसद निधि से निर्मित सड़क का यह हाल है तो अन्‍य का क्‍या होगा यह आसानी से समझा जा सकता है। जी हां, मैं लोकसभाध्‍यक्ष श्रीमती मीरा कुमार की सांसद निधि से निर्मित एक सड़क की बात कर रहा हूं। यह कंक्रीट सड़क इतनी मजबूत बनी कि बनने के बाद पानी डालने से ही इसका सीमेंट उखड़ने लगा। उस वक्‍त मैंने उसका फोटो ले लिया था, जिसे यहां आप स्‍वयं देख सकते हैं।


इस सड़क का निर्माण श्रीमती मीरा कुमार के संसदीय निर्वाचनक्षेत्र सासाराम के अंतर्गत आनेवाले कैमूर जिला के कुदरा प्रखंड के सकरी ग्राम के वार्ड संख्‍या 10 में किया गया है। हालांकि यहां पर कोई सूचनापट नहीं लगाया गया है, लेकिन गांववालों का कहना है कि यह सड़क श्रीमती कुमार की सांसद निधि से ही बनी है। गांववालों को यह बात उनकी पार्टी के प्रखंड अध्‍यक्ष ने बतायी है और उन कांग्रेस प्रखंड अध्‍यक्ष की देखरेख में ही यह सड़क बनी है। बीते जाड़े में निर्मित सड़क का अब क्‍या हाल हो चुका है, वह नीचे के चित्र में देखा जा सकता है।


इस सड़क की कुछ अन्‍य खूबियां संक्षेप में निम्‍नवत हैं :

1. कंक्रीट सड़क बनाने से पहले मिट्टी को समतल कर उस पर ईंट बिछायी जाती है। लेकिन पूरी सड़क बनाने में एक भी साबूत ईंट का इस्‍तेमाल नहीं किया गया। मिट्टी को बिना समतल किए हुए, ईंट के टुकड़े मात्र डाल दिए गए और उसी के ऊपर कंक्रीट की ढलाई कर दी गयी।

2. ढलाई में सीमेंट बहुत कम मात्रा में और घटिया किस्‍म का दिया गया। सड़क की मोटाई भी काफी कम रखी गयी।

3. सड़क का प्राक्‍कलन बनाने से लेकर उसके निर्माण तक कभी भी वास्‍तविक अभिकर्ता या विभागीय अभियंता कार्यस्‍थल पर नहीं आए, पूरा काम बिचौलियों के जरिए कराया गया।

4. सड़क के निर्माण के दौरान घोर अपारदर्शिता बरती गयी। बनने से लेकर आज तक कार्यस्‍थल पर प्राक्‍कलन अथवा निर्माण एजेंसी की जानकारी देनेवाला कोई सूचनापट नहीं लगाया गया, जबकि यह जरूरी होता है। इस स्थिति में गांव के ग्रामीण न तो प्राक्‍कलन के बारे में जान पाए, न ही प्राक्‍कलित राशि, निर्माण एजेंसी या वास्‍तविक ठेकेदार के बारे में जानकारी हो पायी।

5. सड़क के नीचे से गुजरनेवाली नाली को बनाने से सड़क का काम करा रहे बिचौलियों ने पल्‍ला झाड़ लिया। उसके लिए मुहल्‍लेवालों से श्रम व पैसे की मांग की गयी। श्रम तो मुहल्‍ले के बच्‍चों ने किया ही (नीचे चित्र देखें), ईंट, पटिया आदि के रूप में मुहल्‍लेवासियों ने निर्माण सामग्री भी दी। इसके बावजूद बिना ह्यूम पाइप दिए जैसे-तैसे टुकड़ी ईंट से जोड़कर नाली बनायी गयी, जिसके चलते अब नाली में जलजमाव की समस्‍या से लोग जूझ रहे हैं।


6. लोकसभाध्‍यक्ष संबंधित प्रखंड में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से निर्मित सड़क का उद्घाटन करने आयीं (उस वक्‍त का चित्र नीचे देखें), लेकिन अपनी ही सांसद‍ निधि से निर्मित सड़क के बगल से गुजरने के बावजूद उसकी खोज-ख्‍ाबर लेना संभवत: जरूरी नहीं समझा।


देश और प्रदेश के विविध मसले जनता द्वारा निर्वाचित सांसद लोकसभाध्‍यक्ष के समक्ष सदन में रखते हैं। लेकिन जब लोकसभाध्‍यक्ष की सांसद निधि से निर्मित सड़क ही इस कदर धांधली की शिकार हो तो जनता कहां जाए, क्‍या करे?

14 comments:

  1. कुछ् नही किया जा सकता अशोक जी।देश की सभी सड़को का यही हाल हैं गर्मियों मे बनाते है बरसात मे सड़क उखड़ना शुरू हो जाती है सर्दियों मे फ़िर से इस्टिमेट बनता है और गर्मियों मे फ़िर से उसी सड़क को बनाने मे लग जाते हैं।अगर एक ही बार मे सड़क बन जायेगी तो फ़िर उसके बाद नेता लोग काम क्या करेंगे और काम नही करेंगे तो हरामखोरी कैसे करेंगे और अगर हरामखोरी न करे तो फ़िर चुनाव मे नोटों की नदियां कैसे बहायेंगे?रहा सवाल जनता का तो उसे भी काम चाहिये।सारी समस्यायें हल हो जायेंगी तो फ़िर नेताओं का ज़िंदाबाद-मुर्दाबाद कौन करेगा?दुर्भाग्य है ये इस देश का,यंहा काम से ज्यादा रकम मरम्म्त पर खर्च की जाती है।अच्छी खबर ली बाबू जी की वारिस की।

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  2. लोकसभा........ अरे आप प्रधानमंत्री के क्षेत्र मे जाये तो वहा भी यही हालत होगी

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  3. भगवान सबका भला करे । डूबना तय है ।

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  4. ताऊओं को वोट देने का नतीजा भुगतिये. हमने पहले ही चेताया था. अब कुछ नही हो सकता है.

    रामराम.

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  5. @ ताऊ रामपुरिया, क्‍या करते ताऊ मजबूरी थी। मैदान में सारे के सारे ताऊ ही थे। सुना था ज्‍यादा पढ़े-लिखे ज्‍यादा संवेदनशील होते हैं।

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  6. यह रहनुमाओं के थाल की मलाई है
    कभी ठीक नहीं हो सकती
    हिन्दुस्तान की सच्चाई है।
    अच्छा इंजीनियर वही जो ऐसी सड़के बनाए कि अगले सीजन से पहले पूरी तरह उखड़ जाए..!

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  7. अशोक जी ..आपकी पोस्ट को वर्ष की कुछ बेहतरीन पोस्टों के लिए किए जा रहे संकलन के लिए सहेज रहा हूं । आज ब्लोग्गिंग को इसी तेवर की जरूरत है । वैसे भी कैग की रिपोर्ट भी सिद्ध कर चुकी है कि इसमें कोष का जबरद्स्त दुरूपयोग किया जा रहा है
    अजय कुमार झा

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  8. हाल बेहाल है! :-(

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  9. सड़कों की स्थिति दयनीय.
    नेताओं का रिपोर्ट कार्ड निराशाजनक .

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  10. आहि रे दादा.....ई हाल बा......।

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  11. वाह जी वाह मज़ा आ गया.एक अच्छा करारा व्यंग

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  12. अजी भारत मै सभी सडके ऎसी ही बनती है, इस के लाभ बहुत है, कितने ठेकेदार अमीर बनते है, फ़िर ऊपर ्वाले आफ़ि्सर, फ़िर बिचोलिये फ़िर नेता, अरे बाबा एक पक्की सडक बनबा दी तो फ़िर पांच साल बाद वोट लेने के लिये नये नये वादे कहां से लायेगे??? तो भईया इन्हे सवक सीखाना हैओ तो मिल कर सब वोट डालो इन्हे पता चले की जनता अब जाग गई है, वो जात पार ओरधर्म पर नही लडने वाली, उन्हे हक चाहिये.....

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  13. कमोबेश यही हाल है हर जगह. परसेंटेज का हिसाब है वैसे कुछ ठीकेदार कुछ सप्लायर... सुना है उस परसेंटेज के बटवारे में बड़ी इमानदारी होती है.
    बड़े दिनों तक गायब रहे आप?

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  14. सड़क जमाने लगें तो लोकसभा उखड़ जाती है । लोकसभा जमाने लगें तो सड़क उखड़ने लगती है ।

    बड़ी पिराबलम है भाई !

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