Friday, December 4, 2009

सिकंदर व ह्वेनसांग ने गर्मियों में चखा... लेकिन आप सर्दियों में भी ले सकेंगे स्‍वाद !

यानी मेग्नीफेरा इंडिका का रसदार फल। फलों का राजा। भारत का राष्‍ट्रीय फल। महाकवि कालीदास ने इसकी प्रशंसा में गीत लिखे। यूनान के प्रतापी शासक सिकंदर व चीनी धर्मयात्री ह्वेनसांग जैसों ने इसका स्‍वाद चखा। मुगल बादशाह अकबर ने दरभंगा में इसके एक लाख पौधे लगाए, जिसे अब लाखी बाग के नाम से जाना जाता है। हाल-फिलहाल की खबर यह है कि ग्रीष्‍म ऋतु के इस फल का स्‍वाद अब सर्दियों में भी लिया जा सकेगा। पश्चिम बंगाल के किसान अब आम की ऐसी किस्‍मों को लगा रहे हैं, जिनमें जाड़े में भी फल लगेंगे।

आम की उपज के लिए विख्यात मालदा जिले के अधिकारियों के हवाले से दी गयी खबर में बताया गया है कि प. बंगाल के हूगली जिले के आदिसप्‍तग्राम व बंदेल के किसानों ने पिछली सर्दियों में अच्‍छी उपज प्राप्‍त की थी। उसके बाद अब मालदा जिले में भी बारामासिया, दोफला, तोफला, वस्‍तारा व चाइना वस्‍तारा आदि जैसी किस्‍मों को बढ़ावा दिया जा रहा है। आम की इन किस्‍मों में जून-जुलाई में मंजर लगते हैं और सर्दियों में फल पक कर तैयार हो जाते हैं। अधिकारियों के मुताबिक इन प्रभेदों में किसान खासी दिलचस्‍पी दिखा रहे हैं। प्रशासन द्वारा इनके मुफ्त पौधे भी कुछ नर्सरियों में उपलब्‍ध कराए जा रहे हैं।

संस्‍कृतियों के प्रतीक हैं फल
कुछ लोगों का कहना है कि फल भी अलग-अलग संस्कृतियों के प्रतीक हैं। सभी फलों का अपना-अपना सामाजिक व सांस्‍कृतिक संदर्भ है। पश्चिमी देशों में सेब, अरब जगत में अंगूर और भारतीय उपमाहद्वीप में आम – ये सभी अलग-अलग संस्‍कृतियों का प्रतिनिधित्‍व करते हैं। सेब को आदम के जन्नत से निकाले जाने से जोड़ कर देखा जाता है और बहुधा इसे काम का प्रतीक माना जाता है। अंगूर उमर खय्याम की नज्‍मों में ढल कर अब औरत, शराब और गीत की निशानी माना जाने लगा है। जबकि आम को समृद्धि, सौभाग्‍य व वैभव का प्रतीक माना जाता है और शायद इसीलिए फलों का राजा भी कहा जाता है।

आम का तो कहना ही क्‍या
भारत में ग्रीष्‍म ऋतु का आगमन होने के साथ ही आम का इंतजार आरंभ हो जाता है। भारत का सांस्‍कृतिक-सामाजिक जीवन आम के बिना अधूरा है। आम की टहनी, पल्‍लव और फल के बिना भारत के पारंपरिक अनुष्‍ठान पूर्ण नहीं हो सकते। इसीलिए भारत के गांवों में आम से जुड़े अनेक लोगगीत भी गाए जाते हैं। आम का फल अपने सभी रूपों में लोगों को काफी भाता है। चाहे टिकोरा हो, कच्‍चा आम हो या पका फल, सभी का अलग-अलग स्‍वाद है। आम का इस्तेमाल पना व गुरमा बनाने में, अचार में, मुरब्बे में और जैम बनाने में किया जाता है। अमचूर यानी आम की खटाई का चटपटापन तो कोई भूल ही नहीं सकता। गांवों में बच्‍चे आम के अमोला का बाजा बनाकर मुंह से बजाते हैं।

भारत में विभिन्न आकारों, मापों और रंगों के आम की 100 से अधिक किस्में पायी जाती हैं। आम की मुख्‍य किस्‍मों में लंगड़ा, दशहरी, मलदहिया, अलफांसो और चौसा तो सब जानते ही हैं, कई नवाबों और राजाओं के नामों पर भी इसका नामकरण हुआ। मसलन कृष्ण भोग, शम्सुल अस्मर, ख़ासा, प्रिंस, तैमूर लंग, आबे हयात, इमामुद्दीन ख़ान आदि।

उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र का सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह फल भारत में अनंत काल से उगाया जाता रहा है। पका आम बहुत स्वास्थ्यवर्धक, पोषक, शक्तिवर्धक और चरबी बढ़ाने वाला होता है। आम का मुख्य घटक शर्करा है, जो विभिन्न फलों में 11 से 20 प्रतिशत तक विद्यमान रहती है। आम विटामिन ए, सी तथा डी का एक समृद्ध स्रोत है।

4 comments:

  1. कमाल है! सर्दी में भी!

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  2. आम से ललच गये वैसे तो!!

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  3. Nice Blog!! Niec post!!! ok keep Blogging
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  4. आशोक जी आम तो दुनिया मै बहुत जगह होता है, आफ़्रिकन आम बहुत बडा होता है, लेकिन जो आम हमारे भारत का स्वाद है वेसा स्वाद दुनिया मै किसी भी आम मै नही, हमारे यहां १२ महीने आम तरबूज, खरबूजा मिलता है,
    आप ने बहुत अच्छी जान कारी दी धन्यवाद

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