पशुवत व्यवहार निंदनीय होता है, लेकिन कभी-कभी पशु भी अनुकरणीय व्यवहार करते देखे जाते हैं। ऐसा ही दुर्लभ दृश्य उड़ीसा के जगतसिंहपुर के गांव में देखने को मिल रहा है। वहां एक गाय और बकरी के दो बच्चों के बीच परस्पर प्रेम और लगाव दर्शनीय बना हुआ है। गांव की एक गाय पिछले दो महीने से बकरी के दो बच्चों को अपना दूध पिला रही है।
गाय और बकरी के बच्चों के इस अनोखे रिश्ते को देखने के लिए हजारों लोग भुवनेश्वर से 80 किलोमीटर दूर स्थित कुलातरातांग गांव पहुंच रहे हैं। मांगुली भोई की गाय हर दिन करीब डेढ़ घंटे तक नन्हीं बकरियों को दूध पिलाती है। भोई गाय और बकरियों का मालिक है।
भोई का कहना है कि तीन महीने पहले एक बकरी ने चार बच्चों को जन्म दिया था। बकरी ने कमजोरी के कारण पर्याप्त दूध न बन पाने की वजह से एक महीने बाद दो बच्चों को दूध पिलाना बंद कर दिया था। उसने कहा कि हम यह देखकर चकित रह गए कि बकरी के जिन दो बच्चों को उनकी मां ने दूध पिलाना बंद कर दिया था उन्हें गाय दूध पिला रही थी।
गांव के प्रमुख हरेकृष्ण बिस्वाल का कहना है कि यह एक दुर्लभ दृश्य है। पास के गांवों से हजारों लोग बकरियों और गाय के बीच के अनूठे प्रेम और स्नेह को देखने के लिए आ रहे हैं।
मूल खबर के लिए देखें: IBN Khabar
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
भूगर्भीय और भूतल जल के दिन-प्रतिदिन गहराते संकट के मूल में हमारी सरकार की एकांगी नीतियां मुख्य रूप से हैं. देश की आजादी के बाद बड़े बांधों,...
-
इस शीर्षक में तल्खी है, इस बात से हमें इंकार नहीं। लेकिन जीएम फसलों की वजह से क्षुब्ध किसानों को तसल्ली देने के लिए इससे बेहतर शब्दावली ...
-
भाषा का न सांप्रदायिक आधार होता है, न ही वह शास्त्रीयता के बंधन को मानती है। अपने इस सहज रूप में उसकी संप्रेषणयीता और सौन्दर्य को देखना हो...
-
वेदों का चर्खा चला, सदियां गुजरीं। लोग-बाग बसने लगे। फिर भी चलते रहे। गुफाओं से घर उठाये। उंचे से नीचे उतरे। भेड़ों से गायें रखीं। जंगल से ब...
-
आ म यानी मेग्नीफेरा इंडिका का रसदार फल। फलों का राजा। भारत का राष्ट्रीय फल। महाकवि कालीदास ने इसकी प्रशंसा में गीत लिखे। यूनान के प्रतापी ...
-
भारतीय मीडिया लाख दावे करे लेकिन जनता की नब्ज पकड़ने की बात आती है तो बीबीसी से बेहतर शायद कोई नहीं. समलैंगिकता के सवाल पर बीबीसी हिन्दी ब...
जय हो!
ReplyDeleteमुझे लगता है इन्सान से अधिक जानवर प्रेम की परिभाशा अधोइक समझते हैं धन्यवाद्
ReplyDeleteजब इंसानो मै इंसानियत मर रही हो तो जानवरो को ही यह फ़र्ज निभाना पड रहा है, बहुत सुंदर
ReplyDeleteअरे पण्डिज्जी, उस दिन कुकुर और बिलार को परस्पर मैत्री-वत पोज में देखा था! बह पास में कैमरा नहीं था - छलावा सा लगा।
ReplyDeleteगाय तो वैसे भी करुणा की प्रतिूर्ति है!